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पाली

लॉकडाउन में भटके श्रमिक के परिवार का पता लगाकर बिहार तक छोड़ा

मानसिक स्थिति हो गई थी खराब : सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने मिसाल की कायम- पाली जिले के देवली कलां गांव का मामला

पालीSep 07, 2020 / 09:47 am

Suresh Hemnani

लॉकडाउन में भटके श्रमिक के परिवार का पता लगाकर बिहार तक छोड़ा

लॉकडाउन में भटके श्रमिक के परिवार का पता लगाकर बिहार तक छोड़ा

पाली/रायपुर मारवाड़। कोरोना काल में बिहार का श्रमिक दिल्ली से पैदल गांव को निकला था। भूखे रहने से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। भटकते हुए वह देवली कलां पहुंच गया। सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने तीन माह तक श्रमिक की सेवा की। यही नहीं उसके परिवार का पता भी ढूंढ निकाला। वीडिय़ो कॉल के जरिए परिवार से श्रमिक का सम्पर्क कराया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं देख सहयोग राशि एकत्रित कर श्रमिक को उसके गांव बिहार तक छोड़ आए।
बिहार नालंदा जिले के सिपाह निवासी सुधीर कुमार दिहाड़ी श्रमिक है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर देख सुधीर की पत्नी कुछ माह पहले उसे छोडकऱ चली गई। सुधीर ने भी हालात से उभरने के लिए गांव छोड़ दिल्ली मजदूरी करने चला गया। वहां दो माह मजदूरी ही कर पाया था कि कोरोना महामारी के चलते मजदूरी हाथ से चली गई। गांव पहुंचने के लिए सुधीर के पास किराया तक नहीं था। वह दिल्ली से पैदल ही निकल पड़ा। एक जून को वह भटकते हुए क्षेत्र के देवली कलां गांव पहुंच गया। दुबला पतला फटे कपड़े बड़े बाल देख सभी ने उसे मंदबुद्वि का समझा।
सेवा भारती ने थामा हाथ
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का प्रकल्प सेवा भारती से जुड़े कार्यकर्ताओं की नजर सुधीर पर पड़ी। कार्यकर्ताओंं ने सुधीर से बात करनी चाही लेकिन वो भूख के मारे काफी हद तक अपनी मानसिक स्थिति खो चुका था। ये देख कार्यकर्ता उसे गांव से सटी पंचमनाथ महाराज की धुणी पर ले गए। जहां उसे भर पेट भोजन कराया। पहने को नए कपड़े दिए।
फिर ढूंढ निकाला परिवार
सुधीर कुछ दिनों बाद बात करने लगा। उसने अपने गांव का पता तो बता दिया लेकिन परिवार के किसी के फोन नम्बर नहीं बता पाया। सेवा भारती के अशोक दिवाकर व किशोरसिंह राजावत ने बिहार के नालंदा जिला प्रचारक राणाप्रतापसिंह से सम्पर्क कर उन्हे सुधीर के परिवार से सम्पर्क करने का अनुरोध किया। राणाप्रतापसिंह उसी दिन सिपाह गांव पहुंचे और सुधीर के परिवार का पता निकाल लिया। सुधीर के घर में बूढी मां व तीन भाई हैं। राणाप्रतापसिंह ने वहीं वीडियो कॉल कर सुधीर से उसकी परिवार की बात कराई। परिवार ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सुधीर को गांव पहुंचाने की गुहार लगाई।
जनसहयोग से जुटा राशि ट्रेन से पहुंचे बिहार
अशोक दिवाकर व किशोरसिंह ने देवली कलां गांव से सहयोग राशि जुटाई। ट्रेन के जरिए सुधीर को लेकर 4 सिंतबर की शाम बिहार सिपाह गांव पहुंचे। अपने बेटे को देख बूढी मां व तीन भाइयों की आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े।

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