गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने व भवन को सुधरवाने के लिए स्कूल प्रशासन की ओर से 26 जनवरी को बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें सबसे पहले प्रवासी ग्रामीण टीकम ने 50 हजार रुपए देने की घोषणा की। इसके बाद ग्रामीणों ने तीन लाख रुपए नकद देने की घोषणा की।
बड़े निजी स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को अध्ययन करवाने व वैसा ही अनुभव कराने के साथ सुरक्षा के लिए भी ग्रामीणों ने मंथन किया। इस पर गांव निवासी वेलाराम ने तुरन्त सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की। इसके साथ ही पांच कक्ष व मंच के लिए करीब 30 लाख रुपए का सहयोग देने की हामी भरी।
गांव व स्कूल से हर ग्रामीण को जोडऩे के लिए ग्रामीणों की ओर से एक सोशल मीडिया ग्रुप का भी निर्माण किया गया। इसमें गांव में रहने वाले अभिभावकों के साथ प्रवासियों को भी जोड़ा गया। जिससे वे भी स्कूल विकास में सहभागी बन अपने बच्चों का गांव के स्कूल में ही प्रवेश करवाएं।
गांव के पुणे में निवास करने वाले प्रवासियों ने भी बैठक में भाग लिया था। उनका कहना था कि शिक्षक मॉर्डन स्कूल जैसा अध्ययन कराने को तैयार है तो वे भी अगले सत्र से बच्चों का प्रवेश गांव के ही स्कूल में करवाएंगे। स्टॉफ की कमी को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात कर नियुक्ति भी करवाई जाएगी।
गांव के माध्यमिक स्कूल में अभी केवल 97 बच्चे है। स्कूल भवन भी बेहतर नहीं है। अब ग्रामीणों के सहयोग से विकास करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने अगले सत्र से सभी बच्चों का प्रवेश यहां कराने का संकल्प किया है। अभी करीब 250 बच्चे अन्य स्कूलों में पढ़ रहे है। –जोराराम विश्नोई, प्रधानाध्यापक, राजकीय माध्यमिक विद्यालय, सरदारपुरा की ढाणी