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राजस्थान का एकमात्र ऐसा गांव जहां एक भी दो मंजिला मकान नहीं

शारदीय नवरात्रा विशेष : माता महाकाली के दरबार में झुकाते शीश, यहां होती है यंत्र की पूजा

पालीOct 07, 2024 / 06:48 pm

rajendra denok

पाली जिले के सिवास गांव में बना महाकाली मंदिर।

राजस्थान के पाली जिले के सिवास गांव स्थित महाकाली मन्दिर में ग्रामीण मूर्ति के बजाय यंत्र की पूजा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। नवरात्रा के अवसर पर समूचे गोङवाङ सहित अन्य प्रान्तों में रहने वाले महाकाली के भक्त एक बार अवश्य आते हैं। खिंवाङा-नाडोल मार्ग पर खिंवाङाकस्बें से चार किलोमीटर की दूरी पर बसे सिवास गांव में 450 के आस-पास मकान हैं। जिसमें 80 फीसदी पक्के आशियाने हैं। 16 वीं शताब्दी में मूथा राजपुरोहित जाति के आधिपत्य में सिवास गांव की स्थापना हुई थी।

एकमात्र गांव जहां दो मंजिला मकान नहीं

सिवास गांव एक मात्र गांव होगा जहां पर कोई भी दो मंजिला घर नहीं हैं। बताया जाता है कि गांव स्थित महाकाली मंदिर के अग्र भाग पर झरोखा होने के कारण सिवास गांव में कोई भी व्यक्ति अपने घर के अग्र भाग पर दुमंजिला निर्माण नहीं कराते हैं। बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में वाणी गांव के ठाकुर शिवनाथसिंह अपनी पलटन के साथ जोधपुर जा रहे थे। पलटन के थक जाने पर एवं संध्या का समय हो जाने के कारण सिवास गांव के पश्चिम भाग में छातेदार फैले वृक्ष एवं स्वच्छंद वातावरण को देख ठाकुर ने तालाब का किनारे अपनी फौज को रोक दिया। विश्राम के समय ठाकुर शिवनाथसिंह को दिव्य स्वप्न की अनुभूति हुई और आभास हुआ कि देवी काली मां ने मुझसे आह्वान किया है कि यहां छुरी गाढ दी जाए तो मनोवांछित फल मिलेगा। ठाकुर ने यह रहस्य सिवास गांव के राजपुरोहितों को बताया। छुरी गाढक़र मन्दिर घट स्थापना की बात कही, लेकिन राजपुरोहितों द्वारा मना करने पर उन्हें समझाकर सेवतलाव गांव में स्थनान्तरित करवाया। जो वर्तमान में मुण्डारा के पास बसा हुआ है। 1760 ईस्वी में ठाकुर शिवनाथसिंह ने स्वप्न में अनुभूत आदेश पर मन्दिर का निर्माण करवाया। इसके साथ ही मन्दिर के अग्र भाग पर झरोखा का निर्माण करवाया गया। गांव आबाद होने के बाद होने के बाद आज तक सिवासवासी अपने घर के अग्र भाग पर दो मंजिला निर्माण नहीं करवाते हैं।

वैज्ञानिक युग में आस्था यथावत

मानवीय संसाधनों की दृस्टि से सिवास गांव समृद्ध हैं। यहां के निवासी गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उत्तर भारत व दक्षिण भारत में व्यापार करते हैं। कृषि संसाधनों से भी गांव समृद्ध है। मगर मां के आगे वे नतमस्तक होकर अपने घरों के अग्र भाग पर किसी तरह का निर्माण नहीं कराते हैं।

दृढ़ आस्था का प्रतीक यंत्र पूजा

आस्था के प्रतीक सिवास गांव में स्थित महाकाली मन्दिर में देवी की मूर्ति के बजाय यंत्र की पूजा की जाती है। ठाकुर शिवनाथसिंह ने 1779 ईस्वी में सिद्धि प्राप्त पण्डित रूघनाथ, सदाशिव, रामचन्द्र, बैजनाथ, जगनेश्वर, अचलेश्वर के निर्देश पर यंत्र की स्थापना सहस्त्रचण्डी यज्ञ कर सम्पन्न कर गोस्वामीजी के नेतृत्व में की।

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