जी हां, हम बात कर रहे हैं सेंदड़ा से सटे रामगढ़ गांव के पहाड़ी पर स्थित माता केबाजा माता मन्दिर की। अति प्राचीन माता के इस दरबार मे कदम्ब के पांच पेड़ हैं जो अन्य किसी मन्दिर में देखने को नहीं मिलते। मां के मन्दिर परिसर में महाकुण्ड बना हुआ है। जो पहाडिय़ों से गिरते झरने से भरा रहता है। ऐसी मान्यता है कि माता का ये कुंड वर्ष भर में सूखता नहीं है।
श्रद्धालु इस कुंड के जल को अमृत मान ग्रहण करते हैं। पूर्णिमा के दिन वन्य जीव भी इसी कुंड पर पहुंच हलक तर करते हैं। इस दिन माता का यान पैंथर भी मन्दिर में विचरण करता नजर आता है। इस दरबार मे आज तक किसी भी वन्यजीव ने किसी श्रद्धालु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।
हर वर्ष भरता है मेला
नवरात्रा के समय अष्टमी के दिन माता के दरबार में जागरण होता है। नवमी के दिन मेला भरता है। जिसमें पहाड़ी क्षेत्र के दर्जनों गांवों के अलावा पड़ोसी जिले अजमेर व राजसमन्द से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। जिससे ये धाम क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है। मन्दिर के रखरखाव के लिए श्रद्धालु बढ़चढ़ कर सहयोग करते हैं।
नवरात्रा के समय अष्टमी के दिन माता के दरबार में जागरण होता है। नवमी के दिन मेला भरता है। जिसमें पहाड़ी क्षेत्र के दर्जनों गांवों के अलावा पड़ोसी जिले अजमेर व राजसमन्द से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। जिससे ये धाम क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है। मन्दिर के रखरखाव के लिए श्रद्धालु बढ़चढ़ कर सहयोग करते हैं।