पुलिस ने बताया कि 22 अक्टूबर को नाना निवासी ताराराम प्रजापत ने पुलिस को दी रिपोर्ट में बताया कि उसका भाई कन्हैयालाल मोटरसाइकिल लेकर गया था। जो सुबह तक वापस घर नहीं लौटा। वह मोबाइल भी घर छोड़कर गया था। इस बीच कन्हैयालाल की मोटरसाइकिल सेंदला नदी किनारे मिली तथा एक जला हुआ शव मिला था। जिसकी शिनाख्तगी नहीं हो पा रही थी। संदेह जताया जा रहा था कि शव कन्हैयालाल प्रजापत का है। क्योंकि घटनास्थल पर मिली बाइक और जूते कन्हैयालाल के थे। उसके भाई ने भी यही दावा किया। जिससे हत्या कर शव जलाने की अटकले थीं। लेकिन, पुलिस को मामला कुछ और नजर आया। पुलिस ने मामला दर्ज कर पड़ताल प्रारंभ की। जिसमें सामने आया कि कन्हैयालाल जिंदा है तथा अहमदाबाद में है। पुलिस ने उसे दस्तयाब कर गहनता से पूछताछ की तो सारा राजफाश हुआ।
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पूछताछ में कन्हैयालाल ने बताया कि उसके ऊपर बैंक व लोगों का काफी कर्जा हो रखा था। जिससे छुटकारा पाने के लिए उसने पहले अलग-अलग बीमा कंपनियों में अपना लाखों रुपए का इंश्योरेंस करवाया। जिसमें उसने नॉमिनी अपने भाई ताराराम और भाभी विमला को बनाया। फिर इंश्योरेंस कंपनियों को धोखा देने के लिए खुद के मरने की साजिश रची। इसके लिए उसने 21 अक्टूबर को शमशान घाट से दफन मदन प्रजापत के शव को बाहर निकाला। बाद में अपने साथी महेन्द्र उर्फ कालू पुत्र गजाराम मीणा की सहायता से छिपते छिपाते शव को सेंदला नदी के पास लाए। यहां उन्होंने शव को जलाकर खुद की मोटरसाइकिल और जूते छोड़कर भाग गए। फिर खुद के मरने का नाटक कर अहमदाबाद में जाकर छिप गया। जिससे पुलिस और इंश्योरेंस कंपनियां यह समझे कि कन्हैयालाल मर गया तथा क्लेम का पैसा उसके परिजनों को मिल सके। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी है। यह भी पढ़ें
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अहमदाबाद के होटल में कर रहा था नौकरी
कन्हैयालाल अहमदाबाद के एक होटल में काम करता था। इसी दौरान वह कर्ज में डूब गया। पुलिस को आशंका थी कि कन्हैयालाल ने खुद को मरा साबित करने की साजिश रची होगी।