बरसात के दौरान जो शीतल हवा चली थी, वह बंद हुई और उमस बढ़ गई। लोग फिर से पसीने से तर हो गए। इसके करीब एक घंटे बाद एक बार फिर बादलों ने डेरा डाला और करीब पन्द्रह मिनट तक तेज बरसात हुई। इससे परनाले बह निकले। कई निचले इलाकों में पानी का भराव हो गया। यह जरूर रहा कि पहली व दूसरी बार शहर के हर हिस्से में बादल नहीं बरसे। कहीं तेज तो कहीं रिमझिम व बूंदाबांदी ही हुई।
जवाई का जल लगातार उतर रहा
बरसात का दौर आधा जुलाई गुजरने के बाद भी शुरू नहीं होने के कारण पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़ जवाई बांध का जल स्तर गिरता जा रहा है। इससे अब जलदाय विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी चिंता उभर रही है। जवाई के पानी को लेकर विभाग रिव्यू करने की तैयारी में जुटा है। अब यदि जल्द बरसात नहीं होती है तो अभी 48 घंटे के अंतराल से की जा रही जलापूर्ति का समय 72 घंटे किया जा सकता है।
बरसात का दौर आधा जुलाई गुजरने के बाद भी शुरू नहीं होने के कारण पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़ जवाई बांध का जल स्तर गिरता जा रहा है। इससे अब जलदाय विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी चिंता उभर रही है। जवाई के पानी को लेकर विभाग रिव्यू करने की तैयारी में जुटा है। अब यदि जल्द बरसात नहीं होती है तो अभी 48 घंटे के अंतराल से की जा रही जलापूर्ति का समय 72 घंटे किया जा सकता है।
फसल हो रही खराब
जिले में पहली बरसात होते ही कई किसानों ने बुवाई कर दी थी। उन फसलों को अब पानी की जरूरत है, लेकिन इन्द्र देव अभी तक रुठे है। ऐसे में कई किसानों के खेतों में तो फसल खराब हो चुकी है। वहीं कुछ जगह पर अब तीन-चार दिन में बरखा रानी नहीं बरसी तो फसल सूख जाएगी या जल जाएगी। ऐसा होने पर किसानों के जिले में 100 करोड़ से अधिक रुपए डूब जाएंगे और उनको बरसात होने पर फिर से बुवाई करनी पड़ेगी।
जिले में पहली बरसात होते ही कई किसानों ने बुवाई कर दी थी। उन फसलों को अब पानी की जरूरत है, लेकिन इन्द्र देव अभी तक रुठे है। ऐसे में कई किसानों के खेतों में तो फसल खराब हो चुकी है। वहीं कुछ जगह पर अब तीन-चार दिन में बरखा रानी नहीं बरसी तो फसल सूख जाएगी या जल जाएगी। ऐसा होने पर किसानों के जिले में 100 करोड़ से अधिक रुपए डूब जाएंगे और उनको बरसात होने पर फिर से बुवाई करनी पड़ेगी।