वर्तमान में जवाई बांध में करीब पांच सौ से अधिक मगरमच्छ है। साथ ही सैकड़ों की संख्या में मछलियों के साथ कई जलीय जीव जंतु मौजूद है। कई बार बांध के खाली होने व घटते जल स्तर के दौरान भोजन की तलाश में मगरमच्छ पलायन कर खेतों की ओर रुख कर लेते हैं। बांध से सटे सेणा, बिसलपुर, दूदनी, मोरी बेड़ा आदि गांवों में मगरमच्छ आते रहते हैं। यहां के पशुपालक भेड़ बकरियां जवाई के डूब क्षेत्र व पहाड़ी के इर्द-गिर्द चराते वक्त मगरमच्छ के हमलोें का शिकार हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार पशु चराते समय मगरमच्छ ने गत वर्षों में कई पशुपालकों को अपना शिकार बनाया। इसमें पशुपालक सुराराम पुत्र दानाराम देवासी निवासी दूदनी, लखमाराम पुत्र भगताराम देवासी दूदनी, धरमा राम पुत्र रामाजी कीर निवासी दूदनी समेत कई लोगों को जान गवानी पड़ी।
जवाई टूरिज्म पैँथर कंजर्वेशन क्षेत्र होने से यहां सफारी करने प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में देश विदेश से सैलानी पहुंचते हैं। कई बार मगरमच्छों से जान की परवाह किए बगैर यहां जवाई के डूब क्षेत्र में सेल्फी व डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाते हैं।
साल- मगरमच्छ
2014- 307
2015- 325
2016- 333
2018- 358
2019- 369
2020- 377
वर्तमान में 500 लगभग (बांध में गणना के दौरान पिछले दस साल में मगरमच्छों की संख्या) तब छोड़े गए थे दो जोड़े
मगरमच्छ प्रजनन एवं घड़ियाल योजना का शुभारंभ नॉर्थ सेंडल स्थित हवामहल के निकट तत्कालीन पर्यटन मंत्री बीना काक, वन मंत्री भगराज चौधरी व सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के नाम से शिलापट्ट लगाकर किया था। तब मगरमच्छ के दो जोड़े छोड़े गए थे।