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अरावली का कंकर-कंकर भज रहा है भोले शंकर

ऋषियों का तप, गृहस्थी मंदिर वास

पालीJul 28, 2022 / 02:20 pm

Suresh Hemnani

परशुराम महादेव मंदिर की गुफा में दर्शनार्थ श्रद्धालु

-राजीव दवे
पाली। अरावली की पर्वत श्रृंखला में सैकड़ों ऋषि-मुनि तप कर रहे है और उनके आश्रम है। इनके दर्शनार्थ जहां पहुंचने के साथ यहां गृहस्थी भी मंदिरों में सावन में वास कर वहीं पर पूरी साधना कर रहे है।
ये हैं प्रसिद्ध शिव मंदिर
परशुराम महादेव मंदिर सादड़ी, काटेश्वर लुणावा, सेजिया रणकपुर, दुरबानियासर रणकपुर, गुप्तेश्वर घाणेराव, कालेश्वर सुमेर, दुदालेश्वर टाटगढ़ अरावली, धारेश्वर टाटगढ़ रावली, तीर्थेश्वर, लोहागल सुमेर, कालेश्वर सुमेर, गौरीधाम, गोरमेश्वर (बारह ज्योतिर्लिंग), महाकालेश्वर सारण, नीलकंठ सेंदड़ा, पीपलेश्वर कालब कलां, पुलेश्वर दीपावास, शिवथला रायपुर, रामेश्वर माकड़वाली।
गुजरात-राजस्थान का केन्द्र
सावन माह में बारिश होते ही यहां गुजराती पर्यटक लाखों की संख्या में सपरिवार पहुंच रहे है तो इधर राजस्थान के कोने-कोने से भी माउंट आबू, रणकपुर और परशुराम महादेव के दर्शन को पहुंचने का लोगों का सिलसिला जारी है।
मनभावन-सावन
प्रदेश में अरावली पर्वतश्रृंखला, माउंट आबू और पूरे इलाके में बारिश में नजारा हिल स्टेशन का रहता है। झरने चलना, हरियाली से आच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं और इसमें बसे शिवालय इस मौसम को इतना आनंदित करते है कि राज्यभर से श्रद्धालु यहां दर्शनार्थ पहुंच रहे है। इनकी संख्या लाखों में।
करोड़ों का रोजगार
श्रावण मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दरबार में धोक लगाने पहुंचते है। भगवान परशुराम की स्थली पशुराम महादेव में ही श्रावण व भाद्रपद में दो से ढाई लाख श्रद्धालु पहुंचते है। माउंट से लेकर सभी शिवालयों में उमड़ते इन भक्तों से यहां करोड़ों का रोजगार हो रहा है।
एक नजर में अरावली
● 570 मिलियन वर्ष अनुमानित आयु
● 692 किमी लम्बाई गुजरात से दिल्ली
● 930 मीटर औसत ऊंचाई
● 79.49 प्रतिशत भाग राजस्थान में
● 13 जिलों से गुजरती है
● 61 हजार हेक्टेयर है पाली में
● 180 किमी लम्बाई है पाली जिले में
● 3 से 20 किमी तक है चौड़ाई पालीे में

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