मरीजों को कर रहे भर्ती
पंचकर्म चिकित्सा शुरू करने के साथ बांगड़ चिकित्सालय की तरह जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में मरीजों को भर्ती करना भी शुरू किया गया है। अभी चिकित्सालय में दो मरीज भर्ती है। जिनमें से एक महिला पहले स्वयं चिकित्साकर्मी रह चुकी है और गठिया रोग से पीडि़त है। एक व्यक्ति को चमकने व अन्य बीमारी है। उनका उपचार आयुर्वेद के साथ पंचकर्म तकनीक से किया जा रहा है।
पंचकर्म चिकित्सा शुरू करने के साथ बांगड़ चिकित्सालय की तरह जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में मरीजों को भर्ती करना भी शुरू किया गया है। अभी चिकित्सालय में दो मरीज भर्ती है। जिनमें से एक महिला पहले स्वयं चिकित्साकर्मी रह चुकी है और गठिया रोग से पीडि़त है। एक व्यक्ति को चमकने व अन्य बीमारी है। उनका उपचार आयुर्वेद के साथ पंचकर्म तकनीक से किया जा रहा है।
यूनिट का लिया जायजा
पंचकर्म यूनिट का सोमवार को आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डॉ. अशोककुमार शर्मा ने निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों से भी बात की। उन्होंने बताया कि पंचकर्म यूनिट में हर तरह की चिकित्सा शुरू की गई है। हम अब तक कोरोना व स्टाफ की कमी के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे। अब समिति के माध्यम से दो कार्मिक लगाए है।
पंचकर्म यूनिट का सोमवार को आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डॉ. अशोककुमार शर्मा ने निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों से भी बात की। उन्होंने बताया कि पंचकर्म यूनिट में हर तरह की चिकित्सा शुरू की गई है। हम अब तक कोरोना व स्टाफ की कमी के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे। अब समिति के माध्यम से दो कार्मिक लगाए है।
मरीजों को पहले देते हैं समय
पंचकर्म में भीड़ अधिक नहीं हो। इसके लिए पहले मरीजों को समय देते हैं। उस समय उनके आने पर पंचकर्म उपचार करते हैं। अभी रोजाना आठ से दस मरीज उपचार के लिए आ रहे है। –डॉ. शिवकुमार शर्मा, चिकित्सा प्रभारी, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय, पाली
पंचकर्म में भीड़ अधिक नहीं हो। इसके लिए पहले मरीजों को समय देते हैं। उस समय उनके आने पर पंचकर्म उपचार करते हैं। अभी रोजाना आठ से दस मरीज उपचार के लिए आ रहे है। –डॉ. शिवकुमार शर्मा, चिकित्सा प्रभारी, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय, पाली
इन विधियों से कर रहे उपचार
-स्नेहन : शरीर में स्नेह (घी-तेल आदि) का उपयोग किया जाता है। इसमें तलम, पिचू, अक्षीतर्पणम, उद्धवर्तन, करर्ण पूरण आदि विधि करते है।
-नस्य कर्म : इसमें दवा नाक के माध्यम से दी जाती है।
-पत्र पिण्ड स्वेद: औषधिय द्रव्य को तेल आदि से गर्म करके उपयोग करते है।
-शिरोधारा : औषधिय तेल, दूध, तक्र आदि की धारा के रूप में ललाट पर डाला जाता है।
-शिरोबस्ती : औषधिय तेलों को सिर पर भरकर रखा जाता है।
-स्नेहन : शरीर में स्नेह (घी-तेल आदि) का उपयोग किया जाता है। इसमें तलम, पिचू, अक्षीतर्पणम, उद्धवर्तन, करर्ण पूरण आदि विधि करते है।
-नस्य कर्म : इसमें दवा नाक के माध्यम से दी जाती है।
-पत्र पिण्ड स्वेद: औषधिय द्रव्य को तेल आदि से गर्म करके उपयोग करते है।
-शिरोधारा : औषधिय तेल, दूध, तक्र आदि की धारा के रूप में ललाट पर डाला जाता है।
-शिरोबस्ती : औषधिय तेलों को सिर पर भरकर रखा जाता है।