पाली जिले में वर्ष 2019 में टीबी के 4011 मरीज आए। इनमें प्लमोनरी (फेफड़ों की टीबी) के 3356 तथा एक्स्ट्रा प्लमोनरी (फेफड़ों के अतिरिक्त अन्य हिस्सों की टीबी) के 655 मरीज आए। इसी तरह वर्ष 2020 में 3419 मरीजों में से प्लमोनरी टीबी के 2628 व एक्स्ट्रा प्लमोनरी के 791 मरीज थे। जिनका उपचार किया गया।
पिछले साल झालावाड़ था तृतीय
पिछले साल क्षय रोग उन्नमूलन में झालावाड़ जिला तीसरे स्थान पर था। जबकि बारां जिला दूसरे स्थान पर। इस बार भी पहले व दूसरे स्थान पर पाली व बारां ही है। हालांकि इस बार बारां के साथ प्रतापगढ़ जिले ने बेहतर कार्य करते हुए टाई किया है। इस कारण उन दोनों को दूसरा स्थान दिया गया है।
पिछले साल क्षय रोग उन्नमूलन में झालावाड़ जिला तीसरे स्थान पर था। जबकि बारां जिला दूसरे स्थान पर। इस बार भी पहले व दूसरे स्थान पर पाली व बारां ही है। हालांकि इस बार बारां के साथ प्रतापगढ़ जिले ने बेहतर कार्य करते हुए टाई किया है। इस कारण उन दोनों को दूसरा स्थान दिया गया है।
बैक्टीरिया से होता है रोग
टीबी का रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करते है। इसे प्लमोनरी टीबी कहते हैं। रेस्पिरेटरी विशेषज्ञ डॉ. ललित शर्मा ने बताया कि एक्स्ट्रा प्लमोनरी टीबी शरीर के कई अंगों में होती है। यह हड्डी, आंखों, किडनी, पेट आदि कई जगह पर होती है। टीबी मुख्य रूप से रोगी के छींकने, खांसने पर उसके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति को होती है।
टीबी का रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करते है। इसे प्लमोनरी टीबी कहते हैं। रेस्पिरेटरी विशेषज्ञ डॉ. ललित शर्मा ने बताया कि एक्स्ट्रा प्लमोनरी टीबी शरीर के कई अंगों में होती है। यह हड्डी, आंखों, किडनी, पेट आदि कई जगह पर होती है। टीबी मुख्य रूप से रोगी के छींकने, खांसने पर उसके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति को होती है।
जानलेवा बीमारी है टीबी
टीबी एक जानलेवा बीमारी है। इसका उपचार समय पर होना जरूरी है। मेरे पास इसका अतिरिक्त चार्ज है और दो वर्ष से इसमें पाली जिला बेहतर कर प्रथम आ रहा है। हमारे यहां ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी अच्छी है। –डॉ. विकास मारवाल, जिला क्षय रोग अधिकारी, पाली
टीबी एक जानलेवा बीमारी है। इसका उपचार समय पर होना जरूरी है। मेरे पास इसका अतिरिक्त चार्ज है और दो वर्ष से इसमें पाली जिला बेहतर कर प्रथम आ रहा है। हमारे यहां ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी अच्छी है। –डॉ. विकास मारवाल, जिला क्षय रोग अधिकारी, पाली
रोजाना आते है 15 से 20 मरीजटीबी रोग के रोजाना करीब पन्द्रह से बीस मरीज आते हैं। उनको जांच करने के बाद उनको टीबी का कोर्स लेने के लिए टीबी चिकित्सालय भेजते है। पाली में टीबी की रिकवरी रेट अच्छी है। –डॉ. केसी अग्रवाल, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज, पाली