पाली

एक पखवाड़ा बाद पर्यावरण से ऑक्सीजन लेकर करेंगे वार्डों तक सप्लाई

-पाली के बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ऑक्सीजन प्लांट इंस्टालेशन शुरू-दो साल में प्लांट की निकल जाएगी 70 लाख रुपए की लागत-मरीजों को कम दबाव से ऑक्सीजन आपूर्ति की नहीं होगी समस्या

पालीOct 29, 2020 / 09:20 am

Suresh Hemnani

एक पखवाड़ा बाद पर्यावरण से ऑक्सीजन लेकर करेंगे वार्डों तक सप्लाई

पाली। बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन तो बिछा दी गई थी, लेकिन ऑक्सीजन सप्लाई सिलेण्डरों पर ही निर्भर रही। अब एक पखवाड़ा बाद नए ऑक्सीजन प्लांट में पर्यावरण से ऑक्सीजन तैयार कर वार्डों में सप्लाई की जा सकेगी। इसके लिए अस्पताल परिसर में बनाए ऑक्सीजन बैंक के पास ही एक कक्ष तैयार किया गया है। जिसमें ऑक्सीजन बनाने के लिए बुधवार से मशीनों का इंस्टोलेशन शुरू किया गया। इस प्लांट में पांच बड़े टैंक के साथ ही अन्य मशीनों का इंस्टालेशन किया जाएगा। इसके साथ ही जनरेटर भी लगाया जाएगा। जिससे बिजली गुल होने पर भी प्लांट निर्बाध रूप से कार्य करता रहे और मरीजों को ऑक्सीजन मिलती रहे।
70 लाख रुपए आई लागत
इस ऑक्सीजन प्लांट को लगाने में 70 लाख रुपए की लागत आई है। यह राशि प्लांट के लगातार ढंग से कार्य करने पर दो वर्ष में निकल जाएगी। इसका अर्थ यह है कि दो साल बाद 70 लाख रुपए की अस्पताल प्रशासन को हर साल बचत होगी और सुविधा मिलेगी वह अलग।
150 बेड पर है पाइप लाइन
बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी 150 बेड पर ऑक्सीजन पाइंट दिए गए है। कोविड के सभी वार्डों के अलावा ट्रोमा सेन्टर में भी ऑक्सीजन पाइप लाइन से ही आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा ऑरेशन थियरेट व अन्य कुछ वार्डों में भी ऑक्सीजन पाइप लाइन लगाई जा चुकी है।
रोजाना चाहिए 100 से 130 सिलेण्डर
कोविड 19 के मरीजों में सांस लेने की दिक्कत अधिक होती है। इसके साथ ही दुर्घटना में घायलों व ऑपरेशन करते समय प्रसुताओं व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत रहती है। बांगड़ चिकित्सालय में अभी रोजाना 100 से 130 सिलेण्डर की जरूरत रहती है। कई बार यह संख्या 150 तक भी पहुंच जाती है।
ऑक्सीजन बैंक नहीं होगा बंद
ऑक्सीजन का निर्माण अस्पताल में ही होने से मरीजों को लाभ होगा। इसके साथ ऑक्सीजन बैंक भी चलता रहेगा। जिसका उपयोग जरूरत के अनुसार किया जाएगा। प्लांट इंस्टोलेशन का कार्य दस से बारह दिन में पूरे होने की उम्मीद है। –डॉ. ओपी सुथार, प्रभारी, ऑक्सीजन बैंक व ऑक्सीजन निर्माण यूनिट

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