काडियोवस्कूलर डिजेज : मुंह के अंदर अधिक मात्रा में बैक्टिरियां उत्पन्न होने पर हृदय की धमनियों में प्लाट बढ़ जाता है। जो आगे चलकर थ्रांबोसिस एंड व हृदयघात का कारण बनता है। कुछ अध्ययन में हृदय की धमनियों के प्लाट की जांच करने पर उसमें मुंह के बैक्टिरियां पाए गए।
अल्जाइमर्स डिजेज : चिकित्सा विभाग के प्रकाशित शोध बताते है कि मुंह के बैक्टिरियां रक्त प्रवाह के साथ मस्तिष्क तक पहुंच जाते है। इससे अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। लो बर्थ वेट व प्री मैच्योर बेबी : मुंह में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के बैक्टिरियां के कारण कम वजन के शिशु जन्म लेते हैं। ये बैक्टिरियां समय से पहले शिशु जन्म के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। यह बैक्टिरियां ब्लड में जाकर आइएल6, आइएल 1 व टीएनएफ बढ़ा देता है। जिससे समय से पहले प्रसव हो जाता है।
फेफड़ों की करते बीमारी : मुंह का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने पर फेफड़ों की बीमारी भी होती है। इसमें मुंह के बैक्टिरियां दांतों व मसूड़ों पर जमने के बाद थूक व श्वास के साथ फेफड़ों में चले जाते है। इससे फेफड़े संक्रमित हो जाते है।
यह करना चाहिए
-हर बार खाने के बाद मुंह को अच्छे से साफ करना चाहिए।
-मीठे पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।
-दिन में दो बार ब्रेश करना चाहिए।
-खाने में चीज, फल व हरी सब्जियां जरूरी
-गर्भवती को मुंह के स्वास्थ्य का अधिक ख्याल रखना चाहिए
-दांतों व मुंह में किसी भी तरह की तकलीफ होने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
-हर बार खाने के बाद मुंह को अच्छे से साफ करना चाहिए।
-मीठे पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।
-दिन में दो बार ब्रेश करना चाहिए।
-खाने में चीज, फल व हरी सब्जियां जरूरी
-गर्भवती को मुंह के स्वास्थ्य का अधिक ख्याल रखना चाहिए
-दांतों व मुंह में किसी भी तरह की तकलीफ होने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।