अब महिपाल की कलाई पर कौन बांधेगा स्नेह का धागा
गुड़ा पृथ्वीराज के रहने वाले महिपालसिंह को अब रक्षाबंधन के पर्व पर बहन खुशबू का इंतजार ही रहेगा। कोरोना महामारी ने बहन को हमेशा के लिए छीन लिया। मां की ममता से भी दूर कर दिया। बहन और मां दोनों कोरोना से जूझते हुए दुनिया से विदा हो गईं। महिपाल और खुशबू दोनों ही रक्षा बंधन के त्योहार का हमेशा इंतजार करते थे। इकलौते भाई-बहन पर पूरे परिवार को नाज था। खुशबू अपने पीहर रामासीया से रक्षा बंधन पर अक्सर गांव आ जाती थीं। खुशबू छोटी और इकलौती बहन थी। इसलिए महिपाल भी हद से ज्यादा स्नेह करता था। रक्षा बंधन के त्योहार पर पूरा परिवार खुशियां मनाता। भाई-बहन एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध थे।
गुड़ा पृथ्वीराज के रहने वाले महिपालसिंह को अब रक्षाबंधन के पर्व पर बहन खुशबू का इंतजार ही रहेगा। कोरोना महामारी ने बहन को हमेशा के लिए छीन लिया। मां की ममता से भी दूर कर दिया। बहन और मां दोनों कोरोना से जूझते हुए दुनिया से विदा हो गईं। महिपाल और खुशबू दोनों ही रक्षा बंधन के त्योहार का हमेशा इंतजार करते थे। इकलौते भाई-बहन पर पूरे परिवार को नाज था। खुशबू अपने पीहर रामासीया से रक्षा बंधन पर अक्सर गांव आ जाती थीं। खुशबू छोटी और इकलौती बहन थी। इसलिए महिपाल भी हद से ज्यादा स्नेह करता था। रक्षा बंधन के त्योहार पर पूरा परिवार खुशियां मनाता। भाई-बहन एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध थे।
बहन से छिन गया भाई का प्यार
आबूरोड की सुरेखा गुप्ता इकलौती बहन है। कोरोना में पिता विरेन्द्र मंगल और इकलौते छोटे भाई विनोद मंगल का प्यार हमेशा-हमेशा के लिए चला गया। वह अहमदाबाद में रहती है। ऐसी अनहोनी की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। कोरोना जैसी महामारी ने उसके भाई को जीवनभर के लिए दूर कर दिया। रक्षा बंधन पर भाई विनोद कभी अहमदाबाद आ जाते थे तो कभी वह डाक से राखी भिजवा देती थी। उसे मलाल है कि अब वह अपने भाई को कभी राखी नहीं बांध पाएगी। भाई विनोद जब कोरोना की चपेट में आए तो इलाज कराने बहन के पास पहुंच गए। बहन ने खूब सेवा की, लेकिन भाई का जीवन नहीं बचा सकी।
आबूरोड की सुरेखा गुप्ता इकलौती बहन है। कोरोना में पिता विरेन्द्र मंगल और इकलौते छोटे भाई विनोद मंगल का प्यार हमेशा-हमेशा के लिए चला गया। वह अहमदाबाद में रहती है। ऐसी अनहोनी की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। कोरोना जैसी महामारी ने उसके भाई को जीवनभर के लिए दूर कर दिया। रक्षा बंधन पर भाई विनोद कभी अहमदाबाद आ जाते थे तो कभी वह डाक से राखी भिजवा देती थी। उसे मलाल है कि अब वह अपने भाई को कभी राखी नहीं बांध पाएगी। भाई विनोद जब कोरोना की चपेट में आए तो इलाज कराने बहन के पास पहुंच गए। बहन ने खूब सेवा की, लेकिन भाई का जीवन नहीं बचा सकी।