गरीब बेटियों की मां हूं मैं
किन्नर गादीपति आशा कुंवर बताती है कि गरीब बेटियों का कौन है, उनका ख्याल हम रख सकती हैं। यह बात मेरी गुरु कमला बाई ने कही थी। उनकी प्रेरणा से ही मैं जो दुआएं देकर नेग लाती हूं, उससे गरीब बेटियों का विवाह करवाकर उनके जीवन में खुशी लाने का छोटा प्रयास करती हूं। कोरोना काल में लोगों को भोजन के किट बांटे थे। कई लोगों को अब भी किट देती हूं।
निभाती हैं मां की पूरी जिम्मेदारी
गादीपति आशा कुंवर बेटियों की शादी कर उनको भूल नहीं जाती। एक मां की तरह पूरा जीवन उनका ख्याल रखती हैं। विवाह के बाद बेटी का पहला प्रसव भी वे करवाती हैं। उसके ससुराल से लगातार सम्पर्क में रहती हैं। इससे बेटी को जीवन में किसी तरह की तकलीफ नहीं हो। बेटियां भी ससुराल से जब भी आती हैं तो आशा कुंवर से पहले मिलती हैं। कई बेटियों को उन्होंने सिलाई सिखवाई। इससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
हवेली में ही विवाह की सभी रस्में
जिन बेटियों का विवाह किन्नरों की ओर से करवाया जाता है, उनकी सभी रस्में भी वे अपने हवेली में ही पूरी करते हैं। अभिभावकों की तरह उनकी हवेली को रोशनी व फूलों से सजाया जाता है। वहां पाट बैठाने से लेकर हल्दी की रस्म अदा करवाई जाती है। इसके बाद विवाह स्थल पर फेरों में कन्यादान करते हैं। महिला संगीत व बारातियाें का स्वागत भी वे बेटी के मां-बाप की तरह करते हैं।
विवाह में मुख्य रूप से यह देते हैं बेटी को
बेटी के विवाह में किन्नरों की ओर से रसोई का पूरा सामान व सामग्री, सवा पांच तोला सोना, 25 तोला चांदी, फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन सहित घर का पूरा सामान, 14 जोड़ी कपड़े बेटी को, 32 जोड़ी कपड़े बेटी के ससुराल वालों को कम से कम भेंट करते हैं। किन्नर गादीपति आशा कुंवर का कहना है कि जिस बेटी का कोई नहीं, उसके माता-पिता की आर्थिक िस्थति ठीक नहीं है। उसके हम हैं।