बिठुडा़ की ऊषा पत्नी किशोर गर्ग ने बताया कि उसे रविवार की रात बांगड़ चिकित्सालय ले जाया गया था। उस समय उसे तकलीफ का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद रात करीब साढ़े नौ से दस बजे के बीच लेबर पेन होने लगा और बैड पर ही बच्चा आधा बाहर आ गया। इसके बाद प्रसव करवाया गया। बच्चे की रात करीब एक बजे के आस-पास मौत हो गई।
यह बता रहे चिकित्सक
चिकित्सकों का कहना है कि प्रसूता को भर्ती कर उसका उपचार किया जा रहा था। कई बार प्रसुताओं के अधिक पेन होने पर बेड पर डिलेवरी हो जाती है। हमने इस महिला की डिलेवरी के बाद स्वस्थ बच्चे के साथ प्रसव कक्ष से आधे घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट किया था। इस महिला में रक्त की भी कमी थी। इस पर रक्त भी चढ़ाया गया था।
चिकित्सकों का कहना है कि प्रसूता को भर्ती कर उसका उपचार किया जा रहा था। कई बार प्रसुताओं के अधिक पेन होने पर बेड पर डिलेवरी हो जाती है। हमने इस महिला की डिलेवरी के बाद स्वस्थ बच्चे के साथ प्रसव कक्ष से आधे घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट किया था। इस महिला में रक्त की भी कमी थी। इस पर रक्त भी चढ़ाया गया था।
बच्चे को नहीं थी समस्या
महिला की यह दूसरी डिलेवरी थी। उसे तेज दर्द था। प्रसव के बाद बच्ची को कोई समस्या नहीं थी। ऐसा नहीं होता तो हम तुरन्त बच्चों के चिकित्सक को बुलाया जाता है। महिला की डिलेवरी में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई थी। –डॉ. नूरेन मिर्जा, एचओडी, गायनिक, पाली
महिला की यह दूसरी डिलेवरी थी। उसे तेज दर्द था। प्रसव के बाद बच्ची को कोई समस्या नहीं थी। ऐसा नहीं होता तो हम तुरन्त बच्चों के चिकित्सक को बुलाया जाता है। महिला की डिलेवरी में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई थी। –डॉ. नूरेन मिर्जा, एचओडी, गायनिक, पाली