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बच्चों में ऑनलाइन चेस का क्रेज
इन दिनों बच्चे भी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर चेस की बिसात बिछा रहे हैं। हालांकि, इससे बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। ऑनलाइन गेम से बच्चों का बौद्धिक विकास रुक जाता है। बच्चों में चेस खेलने को लेकर रुझान बढ़ रहा है लेकिन कोरोना काल के बाद से ऑनलाइन टूर्नामेंट का ट्रेंड भी बढ़ा है। ऑनलाइन डिस्ट्रिक्ट से लेकर स्टेट और नेशनल लेवल तक के टूर्नामेंट आयोजित हो चुके हैं। जहां ऑनलाइन खिलाड़ी शतरंज की बिसातें बिछ़ा रहे हैं।
पाली में शतरंज के और भी कई खिलाड़ी
पाली में शतरंज खेल की और भी प्रतिभाएं हैं। स्टेट सीनियर शतरंज प्रतियोगिता में पाली के तीन खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। जिसमें से संजय सालेचा और चंद्रशेखर सोनी पहले एफआइडीइ रेटिंग प्लेयर के रूप में उभरे हैं। पाली के दर्शिल गांधी, सोजत के नंदकिशोर पाराशर और सुनील शर्मा भी शतरंज के खिलाड़ी हैं।
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ऑनलाइन गेम और गैंबलिंग नौनिहालों के बचपन को निगल रहा है। पहले जहां बड़े बुजुर्गों के पास बैठकर घंटों तक चेस सीखने की ललक रहती थी। वो अब न जाने कहां खो गई है। अब ऑनलाइन का ट्रेंड बढ़ा है, लेकिन ये नुकसानदायक है। वैसे बात यदि शतरंज की करूं तो इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे बौद्धिक विकास तेजी से होता है। आमजन को ऑनलाइन ये बजाय घर में चेसबोर्ड पर शतरंज खेलना चाहिए।- सुनील कुमार जैन, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड विजेता, पाली