खास बात यह कि यह खेती पूरी से जैविक है। अनार के हर साल एक पौधे में 30 से 35 किलो गोबर खाद व बैक्टीरिया खाद देते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। गोरधन का कहना है कि भविष्य में जैविक खेती ही हमारा मजबूत आधार होगा। इस बार अनार की अच्छी पैदावार होगी। फलदार पौधों की छोटी नर्सरी भी बना रखी है। वे सब्जियों की पौध भी अगले साल से शुरू कर रहे हैं।
गोरधन ने 5 साल पहले चेलावास गांव में मात्रा आधा बीघा जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती की। इसमें करीब ढाई लाख रुपए की पैदावार हुई। खजूर के करीब ढाई सौ पौधे भी लगाए जो अब 3 साल के हो चुके हैं। गोरधन खेती में व्यस्त रहते हैं। वे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। अब उनकी सालाना आय 18 से 20 लाख है।
गोरधनसिंह कृषि व मौसम से पीएचडी भी कर रहे हैं। वे किसानों को मौसम की जानकारी भी देते हैं। उन्होंने खुद का यूट्यूब चैनल बना रखा है जिसके जरिए प्रदेश के हजारों किसानों को जागरूक कर रहे हैं। गोरधन को काजरी ने भी सम्मानित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लाइव कॉन्फ्रेंसिंग कर चुके हैं। गोरधनसिंह का कहना है कि किसान आधुनिकता की ओर कदम बढ़ा कर खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।