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पाली की ये बेटियां छू रही मुकाम, सरहद की सुरक्षा से लेकर खेल मैदानों तक खुद को बनाया सशक्त…पढ़ें सफलता की कहानी

बेटियां किसी भी पायदान पर बेटों से पीछे नहीं है। देश की सरहदों की सुरक्षा हो या फिर पुलिस या प्रशासन में जिम्मेदारी का निर्वहन, चाहे फिर खेल मैदान ही क्यों न हो, हर जगह बेटियां अपनी काबिलियत के बूते खुद को सशक्त साबित कर रही है। हमारे जिले में भी ऐसी बेटियों की कमी नहीं है जो अपनी प्रतिभा के बूते परिवार और गांव का नाम रोशन कर रही है। कुछ ऐसी ही बेटियों पर विस्तृत रिपोर्ट –

पालीJan 24, 2024 / 09:33 pm

rajendra denok

पाली की ये बेटियां छू रही मुकाम, सरहद की सुरक्षा से लेकर खेल मैदानों तक खुद को बनाया सशक्त...पढ़ें सफलता की कहानी

NCC Cadet Isha udawat

लॉन टेनिस में दो बहनों का जादू

पाली. दो बहनें लॉन टेनिस खेल में अपनी प्रतिभा के बूते राष्ट्रीय लेवल तक अपना नाम दर्ज करवा चुकी है। हम बात कर रहे हैं जिला परिषद में कार्यरत लक्ष्मण गौड़ की दो बेटियों आराधना व अभिलाषा गौड़ की, जो कि निरंतर अपने खेल में सुधार कर रही है। नौंवी की छात्रा अभिलाषा ने अखिल भारतीय टेनिस संघ की ओर से आयोजित ऑल इंडिया चैम्पियनशिप में अव्वल रह चुकी है तो इस वर्ष केन्द्रीय विद्यालय संगठन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता के सिंगल में सिल्वर तो डबल में गोल्ड मैडल हासिल किया। इसी प्रकार आराधना भी स्कूल गेम्स ऑफ फेडरेशन की ओर से आयेाजित प्रतियोगिता के सिंगल में सिल्वर तो डबल में गोल्ड मेडल जीत चुकी है। वहीं 67वीं राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी अपनी खेल प्रतिभा के बूते चयन करवा लिया है।
पाली की इशा उदावत को बेस्ट कैडेट अवार्ड
पाली उपखण्ड के छोटे से गांव डिगाई की बेटी इशा उदावत ने देश में पाली का नाम रोशन किया है। इशा का 2024 के लिए बेस्ट कैडेट के रूप में चयन हुआ है। गणतंत्र दिवस पर देश के चुनिंदा कैडेट का बेस्ट कैडेट के रूप में चयन किया गया है, इसमें इशा प्रदेश की एक मात्र कैडेट है। मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय उदयपुर की आर्टस कॉलेज की छात्रा इशा एनसीसी नेवी विंग में है। वह बैडमिंटन की भी उत्कृष्ट खिलाड़ी है। 27 जनवरी को उसे प्रधानमंत्री के हाथों दिल्ली में यह सम्मान दिया जाएगा। इशा के पिता राजेन्द्रसिंह उदावत बांगड़ अस्पताल में आइसीयू यूनिट प्रभारी हैं तथा मां साइता कंवर गृहिणी है।
बेटियों को सशक्त बनाने मनाते हैं दिवस

बालिकाओं व महिलाओं को अपराधों से बचाने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों व अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2008 से हुई। पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने 24 जनवरी 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया था।

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