शहर के हाउसिंग बोर्ड स्थित कृषि उपज मंडी। जिसे बनाया गया था किसानों को लाभ पहुंचाने व व्यापारियों को बाजार प्रदान करने के लिए, लेकिन यह उद्देश्य 44 साल बाद भी आज तक पूरा नहीं हो सका है। मंडी में 92 दुकानें व 6 गोदाम बने है। इनमें से 66 दुकानें व 1 गोदाम किराए पर दिए हुए है। इनमें से संचालित दुकानों की संख्या महज चार-पांच है। शेष पर नाम लिखे है, शटर टूटे है, उनके आगे झाडि़यां उगी है। प्लेटफार्म टूट रहे हैं। इस परिसर में पूरे दिन में 50 लोग भी मुश्किल से आते है। इसके बावजूद वहां 2.49 करोड़ से सड़कों व दरवाजे का निर्माण करवाया जा रहा है। जबकि होना यह चाहिए कि मंडी परिसर से व्यापार करने के लिए अनुज्ञापत्र प्राप्त व्यापारियों को आकर्षित कर मंडी में रौनक लौटाई जाए।
मंडी शुल्क बता रहे व्यापार घटने का कारण
मंडी परिसर में व्यापार घटने का कारण मंडी शुल्क को बताया जा रहा है। जिसके कारण व्यापारियों ने मंडी से व्यापार बंद कर बाहर करना शुरू कर दिया। जबकि हकीकत यह है कि पाली की मंडी बनने के बाद इसे कभी बेहतर तरीके से संचालित ही नहीं किया गया। वहां अंगुलियों पर गिने जा सकने वाली संख्या में ही व्यापारी कार्य कर रहे हैं। जबकि व्यापारियों का कहना है कि मंडी के नियमों में उलझाकर व अन्य असुविधाओं के कारण वे मंडी में कार्य करना पसंद नहीं करते हैं।ऐसा होने पर लौट सकती है रौनक
कृषि उपज मंडी अनाज में सन्नाटा पसरा रहता है। वहां केवल सरकारी स्तर पर होने वाली जिंसों की खरीद-फरोख्त होती है। मंडी समिति के पास ही रामलीला मैदान की फल व सब्जी मंडी भी है। हाउसिंग बोर्ड, रेलवे स्टेशन के दूसरी तरफ की आबादी, घुमटी तक बसे शहरवासियों को फल-सब्जी मंडी जाने के लिए करीब आठ से दस किमी का सफर करना पड़ता है। यदि अनाज मंडी में ही एक ओर फल व सब्जी मंडी विकसित की जाए तो उस क्षेत्र के लोगों को लाभ होने के साथ मंडी भी आबाद हो सकती है।इनका कहना है
मंडी में व्यापारियों को वापस लाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए बैठक भी ली है। मंडी में सड़कों का निर्माण पूर्व में जारी स्वीकृति पर किया जा रहा है।बनवारीलाल माथुर, सचिव, कृषि उपज मंडी, पाली
ऐसी है पाली की मंडी
मंडी समिति की स्थापना: 9 जनवरी 1964 मुख्य मंडी अनाज की स्थापना: 28 नवम्बर 1980 मंडी समिति की ओर से अनुज्ञापत्र प्राप्त व्यापारी: 225 मंडी की भूमि: 16.22 हैक्टेयर उपयोग में ली गई भूमि: 12.46 हैक्टेयर संयुक्त व्यापारी: 75 ‘क’ वर्ग दलाल: 13 हमाल व पल्लेदार: 145