वर्ष 2016 में भी पाली जिले व रोहट क्षेत्र में पेयजल संकट गहराया था। ऐसे में कुडी हौद से रोहट तक बिछी पाइप लाइन फिर याद आई। तब पाइप लाइन दुरस्त करवाने के लिए दो करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था। 31 मई 2016 से पाइप लाइन दुरस्त करने का कार्य शुरू हुआ जो करीबन ढाई माह तक चला। इसके बाद भी जोधपुर से रोहट तक पानी नहीं पहुंच पाया था।
सार-संभाल के अभाव में पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हालत में है। पाइप जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। जलदाय विभाग को भी आपातकाल में ही यह पाइप लाइन याद रहती है। पाइप लाइन के जोइंट भी कई जगह खुले हुए हैं।
इस पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाकर रोहट में पानी का स्टोरेज सेंटर बनाया जा सकता है। इससे रोहट व पाली जिले की प्यास बुझ सकती है। जवाई बांध में पानी की जब भी कमी होती है, जोधपुर का पानी रोहट व पाली के लिए काम आ सकता है।
सेवा और संकल्प महसमिति के अध्यक्ष जबरसिंह राजपुरोहित ने पाली में पेजयल संकट का कारण जवाई बांध के पानी के अपर्याप्त बंटवारे को बताया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अगस्त-सितम्बर माह में पाली शहर समेत 10 शहरों और 787 गांवों की प्यास बुझाने के लिए जनसंख्या के मुताबिक 3500 एमसीएफटी पानी पेयजल के लिए आरक्षित रखने की मांग की थी। इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों के दबाव में प्रशासन ने 4 हजार एमसीएफटी सिंचाई व 2100 एमसीएफटी पानी पेयजल के लिए आरक्षित किया। राजपुरोहित का आरोप है कि इसी फैसले के कारण पाली समेत पूरे जिले में पानी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने पेयजल के लिए 4 हजार एमसीएफटी पानी आरक्षित रखने की मांग उठाई।
बद्रीराम जाखड़, पूर्व सांसद : पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार कौन?
भारत सरकार में मंत्री है उन्हें पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। वे पंजाब से लाएं या कहीं ओर से। मैंने तो कई बार मांग की थी कि माही-बजाज से पानी ला सकते हैं। लेकिन अफसरों ने आगे काम ही नहीं किया तो क्या करें। वैसे, यह सरकार का मामला है।
अभी तो चुनाव चल रहे हैं। चुनाव निबटने के बाद देखते हैं। टे्रनों से मंगवाते हैं। सरकार से बात करेंगे। कोई न कोई व्यवस्था जरूर करेंगे। पीपी चौधरी, सांसद : पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार कौन?
राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेदार है। केन्द्र की मोदी सरकार ने भी जल जीवन मिशन के तहत घर-घर कनेक्शन देने की योजना चला रखी है, लेकिन राज्य सरकार ने काम ही नहीं किया। वसुंधरा राजे की सरकार में जवाई पुनर्भरण पर काम हुआ था।
जवाई बांध पर पूरी तरह से निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। साबरमती से जवाई में पानी लाने पर काम किया जाए। दूसरा, जोधपुर से रोहट तक पाइप लाइन के जरिए स्थायी रूप से पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। रोहट में पानी का जंक्शन बना देना चाहिए। इससे जब भी जरूरत पड़ेगी पानी मिल जाएगा।