मिल रहा रोजगार
पाली में कपड़े की करीब 850 इकाइयां है। हर इकाई में औसत 50 श्रमिक कार्य करते है तो 42 हजार 500 लोगों को औसत प्रत्यक्ष रोजगार रहा है। इसके अलावा कपड़ा उद्योग में कार्य आने वाली अन्य सामग्री से भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। इसमें अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाने वालों को शामिल करने पर यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। उनके पास आने वाली राशि भी स्थानीय बाजार में ही घूमती है।
पाली में कपड़े की करीब 850 इकाइयां है। हर इकाई में औसत 50 श्रमिक कार्य करते है तो 42 हजार 500 लोगों को औसत प्रत्यक्ष रोजगार रहा है। इसके अलावा कपड़ा उद्योग में कार्य आने वाली अन्य सामग्री से भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। इसमें अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाने वालों को शामिल करने पर यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। उनके पास आने वाली राशि भी स्थानीय बाजार में ही घूमती है।
ऐसे समझ सकते हैं अर्थ व्यवस्था
शहर या गांव की अर्थ व्यवस्था लघु उद्योगों के पास ही घुमती है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। एक महिला पाली में 10000 रुपए सिलाई कर एक माह में कमाती है। यदि 100 महिलाएं यह कार्य करती है तो एक माह में उनके पास 10 लाख रुपए पहुंचते है। एक वर्ष के 1 करोड़ 20 लाख रुपए होते है। यह राशि स्थानीय बाजार में ही भ्रमण करती है। महिला को स्थानीय लोग ही राशि देते हैं और वह वहीं खर्च होती है।
शहर या गांव की अर्थ व्यवस्था लघु उद्योगों के पास ही घुमती है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। एक महिला पाली में 10000 रुपए सिलाई कर एक माह में कमाती है। यदि 100 महिलाएं यह कार्य करती है तो एक माह में उनके पास 10 लाख रुपए पहुंचते है। एक वर्ष के 1 करोड़ 20 लाख रुपए होते है। यह राशि स्थानीय बाजार में ही भ्रमण करती है। महिला को स्थानीय लोग ही राशि देते हैं और वह वहीं खर्च होती है।
इन श्रेणियों के है पाली में उद्योग
लघु उद्योग में माइक्रो स्माल एण्ड मीडियम इन्टर प्राइजेज (एमएसएमई) इसमें माइक्रो श्रेणी में चूड़ी, रेडिमेड व पापड़ जैसे उद्योग है। कपड़ा उद्योग की छोटी इकाइयां स्माल व बड़ी मीडियम उद्योगों की श्रेणी में है। इसके अलावा पाली में माइक्रो स्तर पर बड़ी, खाखरा के उद्योग भी है। जो पहले घरों में छोटे स्तर पर शुरू हुए और अब वृहद रूप ले लिया है।
लघु उद्योग में माइक्रो स्माल एण्ड मीडियम इन्टर प्राइजेज (एमएसएमई) इसमें माइक्रो श्रेणी में चूड़ी, रेडिमेड व पापड़ जैसे उद्योग है। कपड़ा उद्योग की छोटी इकाइयां स्माल व बड़ी मीडियम उद्योगों की श्रेणी में है। इसके अलावा पाली में माइक्रो स्तर पर बड़ी, खाखरा के उद्योग भी है। जो पहले घरों में छोटे स्तर पर शुरू हुए और अब वृहद रूप ले लिया है।