जैन देवकी पेढ़ी पाली के अध्यक्ष गौतमचंद मेहता ने बताया कि साध्वी शास्त्रज्ञा जोधपुर के भैरूबाग में चातुर्मास के लिए सात गुरु भगवंतों और नौ साध्वियों के साथ जोधपुर की तरफ गौतमगुण विहार से पैदल विहार कर रही थी। हादसे में उनके देवलोकगमन होने की सूचना पर पेढ़ी के उपाध्यक्ष रमेश पारख, कांतिलाल संखलेचा, तेजराज तातेड़, मुनिश्वर मोदी, राजू भाई लोढ़ा, रुई कटला जैन संघ के धनराज कांठेड, श्रीसंघ के तेजराज तातेड़, अचलगच्छ संघ के मांगीलाल बोहरा, खतरगच्छ संघ के सुनिल कटारिया, ज्ञानगच्छ संघ के उत्तमचंद मेहता, जैन कॉन्फ्रेंस के नेमीचंद चौपड़ा, आनन्द कवाड़ सहित सकल संघ के लोग खारड़ा पहुंचे और दिवंगत साध्वी को नमन किया। जोधपुर संघ के साथ ही साध्वी के सांसारिक परिजन और भाभर जैन संघ के सदस्य भी पहुंचे।
आठ वर्ष पूर्व ली थी दीक्षा
साध्वी शास्त्रज्ञा आचार्य विजय शांतिचंद्र सूरीश्वर समुदाय के आचार्य विजययोग तिलक सूरिश्वर की शिष्या थी। उन्होंने आठ वर्ष पहले संयम पथ अंगीकार किया था। गुजरात के राधनपुर के निकट भाभर निवासी नितिन भाई रमणिकलाल संघवी साध्वी के सांसारिक पिता है। साध्वी का सांसारिक नाम जिनल बेन था।
साध्वी शास्त्रज्ञा आचार्य विजय शांतिचंद्र सूरीश्वर समुदाय के आचार्य विजययोग तिलक सूरिश्वर की शिष्या थी। उन्होंने आठ वर्ष पहले संयम पथ अंगीकार किया था। गुजरात के राधनपुर के निकट भाभर निवासी नितिन भाई रमणिकलाल संघवी साध्वी के सांसारिक पिता है। साध्वी का सांसारिक नाम जिनल बेन था।
फार्म हाउस से निकाली पालकी यात्रा
साध्वी का कालधर्म होने पर जैन समाजबंधु उनकी पार्थिक देह को कवाड़ फार्म हाउस ले गए। वहां से पालकी यात्रा निकाली गई। इसके बाद उनकी देह को पंचतत्व में विलीन किया गया।
साध्वी का कालधर्म होने पर जैन समाजबंधु उनकी पार्थिक देह को कवाड़ फार्म हाउस ले गए। वहां से पालकी यात्रा निकाली गई। इसके बाद उनकी देह को पंचतत्व में विलीन किया गया।