अफीम की खेती कर अधिक मुनाफा कमाने के लालच में तस्कर जोखिम ज्यादा उठा रहे हैं। अफीम की खेती में लागत कम आती है। फसल पूरी तैयार होने के बाद बेचने पर मुनाफा अधिक मिलता है। जानकारी के मुताबिक अफीम के एक पौधे से करीब 15.20 ग्राम दूध प्राप्त होता है। अफीम के पौधों से अफीम, अफीम का दूध और तने व पत्तों से डोडा-पोस्त बनता है। यह बाजार में बेहद महंगे दामों पर बिकता है। इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती, लेकिन जोखिम ज्यादा होता है। इसकी खेती प्रतिबंधित है। खेती करने के लिए लाइसेंस लेना होता है। अफीम की खेती चितौडगढ़़ क्षेत्र में अधिक होती है।
पाली जिले के जैतारण थाने के कुशालपुरा पुलिस चौकी ने गत वर्ष फरवरी माह में रामपुरा कलां में करवाई करते हुए एक खेत से 2783 पौधे बरामद किए। खेत में लोगों से बचने के लिए जीरे की फसल के बीच अफीम की खेती कर रखी थी।
औद्योगिक थाना क्षेत्र के सोसायटी नगर में गत 8 मार्च को पुलिस ने एक मकान की तलाशी ली। जहां मकान की छत पर टमाटर के पौधों के बीच अफीम के 35 पौधे उगे हुए मिले। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था।
सोजत रोड थाना पुलिस ने दो दिन पूर्व मुसालिया गांव के बेरे जबराई पर 62 साल के भंवरलाल पुत्र कानाराम के खेत से सौंफ की फसल की आड में उगाए गए अफीम के 284 पौधे बरामद किए। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ जारी है।