प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का मानना : खतरे में नदी का अस्तित्व
प्रदूषण नियंत्रण मंडल का मानना है कि बांडी नदी की मौजूदा स्थिति व प्रदूषण न केवल नदी के अस्तित्व को मिटा रहे है, बल्कि शहर को भी कलंकित कर रहे है। नदी में जगह-जगह जमा अपशिष्ट भी नदी के लिए खतरा बना हुआ है। एेसे में यदि नदी का सौंदर्यीकरण किया गया तो प्रदूषण से काफी हद तक मुक्ति मिलेगी और बांडी के बरसों पुराने दाग भी धुल जाएंगे।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल का मानना है कि बांडी नदी की मौजूदा स्थिति व प्रदूषण न केवल नदी के अस्तित्व को मिटा रहे है, बल्कि शहर को भी कलंकित कर रहे है। नदी में जगह-जगह जमा अपशिष्ट भी नदी के लिए खतरा बना हुआ है। एेसे में यदि नदी का सौंदर्यीकरण किया गया तो प्रदूषण से काफी हद तक मुक्ति मिलेगी और बांडी के बरसों पुराने दाग भी धुल जाएंगे।
नदी किनारे बनेंगे वॉकिंग-साइकिल टे्रक
दशकों से प्रदूषण का दंश झेल रही बांडी नदी का स्वरूप निखारने के लिए पहली बार बड़ी और महत्वपूर्ण योजना बनाई गई है। इसमें नदी के दोनों किनारों को विकसित किया जाएगा। साइकिल और वॉकिंग टे्रक, बगीचा, लाइटिंग, हाट बाजार इत्यादि बनाए जाएंगे। नदी में किसी भी तरह के अपशिष्ट डालने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। औद्योगिक इकाइयों के रसायनयुक्त पानी की एक बूंद भी नदी में जमा नहीं हो एेसी भी व्यवस्था की जाएगी। रिवर फ्रंट को पर्यटन स्थल की तरह विकसित करने की योजना है ताकि शहर के लोग नदी किनारे ज्यादा से ज्यादा घूमने आ सकें।
दशकों से प्रदूषण का दंश झेल रही बांडी नदी का स्वरूप निखारने के लिए पहली बार बड़ी और महत्वपूर्ण योजना बनाई गई है। इसमें नदी के दोनों किनारों को विकसित किया जाएगा। साइकिल और वॉकिंग टे्रक, बगीचा, लाइटिंग, हाट बाजार इत्यादि बनाए जाएंगे। नदी में किसी भी तरह के अपशिष्ट डालने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। औद्योगिक इकाइयों के रसायनयुक्त पानी की एक बूंद भी नदी में जमा नहीं हो एेसी भी व्यवस्था की जाएगी। रिवर फ्रंट को पर्यटन स्थल की तरह विकसित करने की योजना है ताकि शहर के लोग नदी किनारे ज्यादा से ज्यादा घूमने आ सकें।
बाढ़ भी नहीं कर सकेगी बिगाड़ा
नदी किनारे बनाए जाने वाले टे्रक, बगीचे इत्यादि इस तरह से विकसित किए जाएंगे कि बारिश के दिनों में नुकसान की आशंका न रहे। निर्माण कार्यों का डिजाइन भी बाढ़ जैसी स्थितियां को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। नदी में यदि पानी की मात्रा ज्यादा होती है तो उसका विकल्प तैयार किया जाएगा। पानी के लिए अलग से नालों का निर्माण किया जाएगा।
नदी किनारे बनाए जाने वाले टे्रक, बगीचे इत्यादि इस तरह से विकसित किए जाएंगे कि बारिश के दिनों में नुकसान की आशंका न रहे। निर्माण कार्यों का डिजाइन भी बाढ़ जैसी स्थितियां को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। नदी में यदि पानी की मात्रा ज्यादा होती है तो उसका विकल्प तैयार किया जाएगा। पानी के लिए अलग से नालों का निर्माण किया जाएगा।
अभी सडं़ाध मार रही बांडी
पिछले कई सालों से बांडी नदी दुर्गति की शिकार है। स्थिति यह है कि नदी के आसपास एक किलोमीटर दूरी से भले ही आंख बंद कर गुजरो, सड़ांध के कारण नदी का अहसास हो ही जाएगा। जब भी कोई व्यक्ति नदी पार करता है तो उसे नाक बंद करना ही पड़ता है। शहर ही नहीं जालोर मार्ग पर भी बांडी का यही हाल है। नदी की दुर्गति के लिए शहर के लोग भी पूरे भागीदार है।
नजीर बन सकती है पाली की बांडी
नदी का संरक्षण जरूरी है। द्रव्यवती और साबरमती नदी का उदाहरण हमारे सामने हैं। दोनों नदियों का सौंदर्यीकरण किया गया। इसी तर्ज पर बांडी नदी भी पाली के लिए नजीर साबित हो सकती है। रिवर फं्रट को विकसित करने के लिए प्रस्ताव भिजवाया है। प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भी यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है।
अमित शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, पाली
सौंदर्यीकरण पर विचार कर रहे हैं
बांडी नदी के सौंदर्यीकरण पर विचार कर रहे हैं। सर्वप्रथम नदी क्षेत्र को कैसे विकसित किया जा सकता है इसके लिए विस्तृत प्लान तैयार करवाया जा रहा है। इसकी व्यावहारिकता पर भी पड़ताल करवा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल से विस्तृत प्लान मांगा है। इसके बाद क्रियान्वयन के लिए कदम बढ़ाएंगे। नदी के संरक्षण और प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए यह योजना सार्थक साबित हो सकती है।
दिनेशचंद जैन, जिला कलक्टर