इस पर उसका पता लगा कि डेरी में दो महिलाओं ने कुछ दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। इस पर वे उनको सहायता का आश्वासन देकर लौटी। उनको बोली अभी तो मैं सामान साथ नहीं ला सकी, लेकिन एक-दो दिन में फिर आती हूं।
टैगोर नगर में अनुभव स्मारक संस्थान के पीछे की तरफ डेरा डालकर बैठे 1000 से अधिक मदारी जाती के लोग भूखे सोने को मजबूर है। तपती धरती व आग उगती सूर्य की तपिश के बीच वे लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे है। इसे लेकर राजस्थान पत्रिका ने 15 मई के अंक में समाचार प्रकाशित कर दर्द को उजागर किया। इस पर पाली की रहने वाली सुमन शर्मा डेरे पर पहुंची और प्रसूता को दो किलो घी के साथ राशन सामग्री उपलब्ध कराई।
VIDEO : यहां आसमान तले दो माह से बिलख रहे बच्चे बड़ी संख्या में शामिल है बच्चेयहां रहने वाले 125 परिवारों में बड़ी संख्या में बच्चे है। जिनको खिलाने के लिए इन परिवार के लोगों के पास कुछ भी नहीं है। इनकी सहायता के लिए भी अब तक कोई नहीं पहुंचा है। मदारी जाती के ये लोग मूल रूप से जवाली गांव के रहने वाले हैं और करतब दिखाकर गुजारा करते हैं।