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396 दवाएं फ्री फिर भी लाखों में मेडिकल का कारोबार

सरकार की ओर से प्रदेश में लोगों को चिकित्सा संबंधी सेवाओं में राहत देने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों पर 396 तरह की दवाइयां व 100 तरह के सिजेरियन किट निशुल्क उपलब्ध हंै।

पालीJul 31, 2016 / 04:08 pm

pradeep beedawat

पत्रिका स्टिंग
सरकार की ओर से प्रदेश में लोगों को चिकित्सा संबंधी सेवाओं में राहत देने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों पर 396 तरह की दवाइयां व 100 तरह के सिजेरियन किट निशुल्क उपलब्ध हंै। इसके बाद भी जिले के लोग अपने इलाज के लिए निजी मेडिकल स्टोर से प्रतिदिन 60 से 70 लाख रुपए की दवाइयां खरीद कर रहे हंै। पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो पांच मुख्य कारण सामने आए।
आखिर सरकारी निशुल्क सुविधाओं के बावजूद भी रुपए खर्च कर दवाई क्यों खरीद रहे हंै लोग। जिला केमेस्ट एेसोसिएशन के सह जिला सचिव रमेश परिहार के मुताबिक लोग अपडेट दवाएं मानकर निजी मेडिकल से खरीदना पसंद करते हंै। इसके चलते जिलेभर में प्रतिदिन लोग 60 से 70 लाख की दवाई की खरीद करते हैं।
ये 3 बड़े कारण सामने आए

डॉक्टरों का क्लिनिक और उनके मेडिकल स्टोर:

लोग बांगड़ अस्पताल के डॉक्टरों से अस्पताल में इलाज करवाने के बजाए उनके निजी क्लिनिक पर जाते हंै लोग। बांगड़ अस्पताल में कार्यरत सभी डॉक्टर अपनी ड्यूटी के बाद अपने निजी क्लिनिक पर इलाज करते हैं। अस्पताल के बाहर डॉक्टरों द्वारा लिखी दवाइयां कुछ निर्धारित मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हंै। यह मेडिकल स्टोर ज्यादातर डॉक्टरों के क्लिनिक के आस-पास ही होते हैं।
लम्बी कतार में घंटों इंतजार नहीं करना चाहते मरीज:

यूं तो बांगड़ अस्पताल में हर इलाज से लेकर अन्य सभी सुविधाए उपलब्ध हैं, लेकिन स्टाफ की कमी ने अस्पताल के सभी व्यवस्थाओं को बिगाड़ दिया है। अस्पताल में वर्तमान में कम्प्यूटर आपरेटर नहीं होने से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को पहले पर्ची के लिए लंबी कतार में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद उतना ही समय डॉक्टर से इलाज करवाने के लिए खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद निशुल्क दवाई के लिए भी कतार लगानी पड़ती है।
बांगड़ अस्पताल में स्टाफ की कमी:

बांगड़ अस्पताल में 11 कम्प्यूटर ऑपरेटर नियुक्त हंै। जिनमें से 9 को कलक्टर कार्यालय में लगा दिया है। अस्पताल प्रबंधन रिकार्ड की आनलाइन फिडिंग नहीं कर पा रहा है। इससे अस्पताल में 96 दवाई निशुल्क नहीं मिल पा रही हैं। मरीजों को 32 नम्बर कमरे से रियायती दर पर दवाई लेने की सलाह दे रहा है।
इन्होंने कहा

सरकार की आेर से अस्पताल में 396 प्रकार की दवाई व 100 तरह के सिजेरियन किट निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन को प्रतिदिन दवा का रिकार्ड ऑनलाइन फीड करना होता है। इस रिकार्ड के तहत ही दवाई उपलब्ध करवाई जाती है। कम्प्यूटर ऑपरेटर नहीं होने से ऑनलाइन फीडिंग नहीं हो पा रही है। इसके चलते वर्तमान में 96 दवाई उपलब्ध नहीं हंै। इसके लिए या तो मरीज 32 नम्बर कमरे से रियायती दर पर दवाई खरीदते हंै। या फिर निजी मेडिकल स्टोर से।
डॉ. एमएस राजपुरोहित, पीएमओ, बांगड़ अस्पताल

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