पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट शहर में शुक्रवार को हुई श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा की निर्मम हत्या मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दो प्रमुख संदिग्धों ने पुलिस के सामने फैक्टरी में निर्यात प्रबंधक पद पर नियुक्त प्रियंता कुमारा प्रबंधक की यातना और हत्या में शामिल होने की बात कबूल कर ली है। प्रियंता कुमारा जो सियालकोट के वजीराबाद रोड पर एक निजी कारखाने में प्रबंधक के रूप में काम कर रहे थे को 3 दिसंबर को ईशनिंदा के आरोपों में भीड़ द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया और उनके शव को आग लगा दी गई। जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री को शुरूआती रिपोर्ट पेश कर दी है। प्रांतीय सरकार द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विवाद तब सामने आया जब प्रियंता कुमारा ने सुबह 10:28 बजे कारखाने की दीवारों से कुछ पोस्टर हटा दिए। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टरों पर पवित्र पैगंबर का नाम लिखा हुआ था।
कुछ ही देर में फैक्ट्री मालिक मौके पर पहुंचा और मामले को सुलझाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमारा ने अपनी ओर से गलतफहमी के लिए माफी मांगी थी। कुमारा द्वारा माफी मांगने के बाद, कथित तौर पर मामले को सुलझा लिया गया और कारखाने के कर्मचारी तितर-बितर हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कार्यकतार्ओं ने अपने सहयोगियों को प्रबंधक पर हमला करने के लिए उकसाया था।
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कुछ ही मिनटों में, भीड़ ने औद्योगिक इकाई के परिसर के भीतर पीड़ित पर हमला किया और अंतत: उन्हें मार डाला। जिस समय क्रूर हमला हो रहा था, उस समय कारखाने में कुल 13 सुरक्षा गार्ड मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनमें से किसी ने भी पीड़ित को बचाने या भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश नहीं की। कुमारा के शव को बाद में कारखाने के बाहर घसीटा गया और जला दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस को घटना के बारे में सुबह 11:28 बजे एक फोन आया। उन्होंने बताया कि 12 मिनट के भीतर एक पुलिस दल घटनास्थल पर पहुंच गया। बाद में संदिग्धों को पकड़ने और गिरफ्तार करने के लिए भारी पुलिस बल को घटनास्थल पर भेजा गया।
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