पाक की आम जनता ने इमरान सरकार की खोल दी पोल, कहा- भारत से लड़ना उसके बस की बात नहीं
मिलिट्री इंक इनसाइड पाकिस्तान मिलिट्री इकॉनामी की लेखिका आयशा सिद्दीकी का दावा
पाकिस्तान गंभीर अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रहा है, ऐसे में युद्ध लड़ना संभव नहीं
इस्लामाबाद। कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है। इमरान सरकार के कई मंत्री भी इसकी हिमायत करने में लगे हैं। मगर इस गीदड़ भभकी की पोल खुद पाक के रक्षा जानकार ने खोल दी है। मिलिट्री इंक इनसाइड पाकिस्तान मिलिट्री इकॉनामी की लेखिका आयशा सिद्दीकी का कहना है कि पाक के लिए भारत से लड़ना मुमकिन नहीं है।
ट्रंप ने इमरान खान को लगाई कड़ी फटकार, कहा-भारत पर तीखी बयानबाजी से बचें आयशा के अनुसार पाकिस्तानी सेना भारत से लड़ाई की स्थिति में नहीं है। वह उसके सामने टिक नहीं सकेगी। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान इस समय गंभीर अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रहा है। इसके कारण मुद्रास्फीति की दर नियंत्रण से बाहर है। इस स्थिति में पाकिस्तान,भारत से युद्ध नहीं कर सकता।
उनका कहना है कि जब वह पीओके में अपने दोस्त से मिलीं तो उन्होंने पाया कि यहां की आम जनता भी जानती है कि भारत के सामने पाक टिक नहीं पाएगा। उसके दोस्त ने कहा कि पाकिस्तान के लिए यह लड़ाई भारी पड़ेगी।
आर्टिकल 370: पाक को उल्टी पड़ रही अपनी ही कार्रवाई, जरूरी दवाओं की कमी बनी लोगों की मुसीबतभारत के साथ युद्ध संभव नहीं उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि आम (पाकिस्तानी) आदमी भी समझ चुका है कि भारत के साथ युद्ध संभव नहीं है। बीते 72 सालों से पाकिस्तानी सेना का उद्देश्य कश्मीर को भारत से छीनना था। पाकिस्तानी सेना के कुछ हिस्से काफी आक्रोश में हैं।
गौरतलब है कि इमरान खान कश्मीर पर बार-बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांग रहे हैं। मगर अभी तक किसी भी देश ने उसकी तरफ मदद का हाथ नहीं बढ़ाया है। आयशा सिद्दीका का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के ट्विटर पर भारत को दी गई धमकी के बाद आया है।
अपने ट्वीट में इमरान खान ने कहा था कि भारत पर हिंदू वर्चस्ववादी विचारधारा और नेतृत्व ने पूरी तरह से कब्जा जमा लिया हैै। जैसे कि जर्मनी पर नाजियों ने किया था। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह से कश्मीर में 90 लाख कश्मीरी भारतीय सेना की घेरेबंदी में डरे हुए हैं। इस खतरे के बारे में दुनिया को पता चलना चाहिए। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र को अपने पर्यवेक्षक यहां भेजने चाहिए।