तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए हुए एक महीने से अधिक का वक्त बीत चुका है और इसी के साथ अब उसके विरोध का दायरा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, जबकि समर्थक न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि पड़ोसी मुल्कों में भी बढ़ते जा रहे हैं। इसका एक उदाहरण पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में देखने को मिला है।
बात दरअसल कुछ यूं है कि इस्लामाबाद स्थित एक मदरसे में तालिबानी झंडा फहराया गया था। पुलिस को इसकी जानकारी हुई थी, तो वह झंडा उतारने पहुंची। पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने के लिए खुद मदरसे के मौलवी और छात्र आगे आ गए। पुलिस के सामने एके-47 भी लहराई गई। दिलचस्प यह है कि घटना इस्लामाबाद के सबसे चर्चित मदरसे जामिया हफ्सा का है। हालांकि, पाकिस्तानी अखबार और न्यूज़ वेबसाइट डाॅन के अनुसार, मौलाना अब्दुल अजीज और घटना में शामिल रहे कुछ सहयोगियों के खिलाफ पुलिस ने केस रजिस्टर कर लिया है। इस्लामाबाद पुलिस ने एंटी टेरेरिज्म एक्ट के तहत अफगान तालिबान का झंडा फहराने के आरोप में विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।
बताया जा रहा है कि जामिया हफ्सा मदरसे में तालिबान का झंडा फहराया गया था। पुलिस को इस बात की जानकारी मिली, तब एक टीम झंडे को उतारने के लिए वहां पहुंची। लेकिन वहां पहुंचने के बाद पुलिस को मौलाना अब्दुल अजीज और मदरसे के छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। यह लोग किसी भी कीमत पर झंडे को उतारने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। विरोध के लिए खुद मौलाना अब्दुल अजीज पुलिस टीम के सामने खड़ा हो गया।
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हैरानी की बात यह है कि मौलाना अब्दुल अजीज और छात्रों के विरोध को देखते हुए झंडा उतारने पहुंची पुलिस टीम खाली हाथ वापस लौट गई। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मदरसे का मौलवी अब्दुल अजीज झंडा उतारने गई पुलिस टीम के सदस्यों को खूब खरी-खोटी सुना रहा है और पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने हुए है। मौलवी अब्दुल अजीज इस वीडियो में यह दावा करते हुए दिख रहा है कि इस्लामाबाद में शरिया कानून लागू करने की उसकी मांग इमरान सरकार ने मान ली है। यह भी पढ़ें
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