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कश्मीर में बढ़ा सीजफायर का उल्लंघन
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान लगातार भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की कोशिशों पर बल देने की बात करते हैं, लेकिन जमीन पर इसका उल्टा असर देखने को मिलता है। जब से इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं तब से कश्मीर ( Kashmir ) में सीजफायर के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ गई है। बीते वर्ष 2018 में पाकिस्तान ने 2936 बार सीजफायर का उल्लंघन किया। तो वहीं 2017 में कुल 860, 2016 में 271 और 2015 में कुल 387 बार कर चुका है। हालांकि भारत की ओर से ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सैंकड़ों पाकिस्तानी आतंकियों का खात्मा किया जा चुका है। इससे घबराकर पाकिस्तान अपनी रणनीति को बदलने पर मजबूर हुआ है।
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पाकिस्तान में आतंकियों के होने से इनकार
वर्षों तक पाकिस्तान इस बात से इनकार करता रहा है कि उसकी धरती में किसी तरह का कोई आतंकी संगठन नहीं है और न ही कोई आतंकी। जबकि हकीकत इससे उल्ट है। अभी हाल ही पुलवामा ( Pulwama ) में हुए हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने ली। लेकिन जब भारत ने इस संबंध में पाक को सबूत सौंपे और कार्रवाई करने की बात कही तो साफ इनकार करते हुए कहा कि मसूद अजहर पाकिस्तान में नहीं है। जबकि बालाकोट में जैश के कई आतंकी अड्डे चलते हैं। भारत की ओर से बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान आर्मी ने अलग-अलग बयान जारी करते हुए यह बात गाहे-बगाहे स्वीकार कर चुकी है कि मसूद अजहर की तबियत ठीक नहीं है और वह अस्पताल में इलाज करा रहा है। इसके अलावा इससे पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद ( Hafiz Saeed ) को लेकर पाकिस्तान इनकार करता रहा है, जबकि वह खुलेआम भारत के खिलाफ तकरीर करता रहता है। इतना ही नहीं, हाफिज सईद एक राजनीतिक दल बनाते हुए अपने केंडिडेट को चुनाव में खड़ा करवाता है और इमरान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहती है। हाफिज सईद को भी संयुक्त राष्ट्र ( united nation ) ने आतंकी घोषित किया है। एक समय में दुनिया के लिए सिरदर्द बन चुके आतंकी ओसामा बिन लादेन ( Osama Bin Laden ) को लेकर पाकिस्तान हमेशा से झूठ बोलता रहा है। लेकिन जब अमरीका ने घर में घुसकर एबटाबाद ( Abbottabad ) में लादेन को मार गिराया तो पाकिस्तान की पोल खुल गई। लादेन पाकिस्तानी आर्मी के संरक्षण में रह रहा था। इन सबके अलावे दाउद जो कि मोस्ट वांटेड है, पाकिस्तान में इमरान खान की सरपरस्ती में छिपा हुआ है।
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पाक आर्मी का सरकार में दखल
पाकिस्तान में हमेशा से लोकतंत्र का मजाक उड़ता रहा है। पाक आर्मी सरकार पर अपना नियंत्रण रखती है। एक तरह से कहें तो आर्मी ही पाकिस्तान सरकार को संचालित करती है। हालांकि पीएम इमरान खान इस बात को लगातार दोहराते रहे हैं कि ये ‘नया पाकिस्तान’ है, हमारी सरकार अपने आवाम की बेहतरी और आतंकवाद के खिलाफ काम करने को प्रतिबद्ध है। पर शंका के बीज तब अंकुरित होने लगते हैं, जब सरकार के उल्ट आर्मी बयान देती है या फिर कार्रवाई करती है। हाल ही में भारत की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक के बाद जो भी बयान सामने आए हैं, उससे इस बात को समझा जा सकता है। अभी हाल ही आर्मी ने इस बात को स्वीकार किया है कि पाकिस्तान की धरती में आतंकी तत्व हैं जिन्हें खत्म करने के लिए पाकिस्तान को बहुत कुछ करने की जरूरत है। पाक आर्मी का यह बयान इमरान खान के बयान की हवा निकालने के लिए काफी है।
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पाकिस्तान के वादों पर दम नहीं
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि भारत द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हो जाए। इसके लिए वे कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) के साथ बातचीत करने की जिज्ञासा दिखा चुके हैं। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकता है। जब उड़ी और पठानकोट में आतंकी हमला हुआ उस वक्त भारत ने सबूतों के डोजियर पाकिस्तान को सौंपे, लेकिन इसपर कार्रावई करने के बजाए पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने में लगा रहा। इसी साल जब 14 फरवरी को CRPF पर हमला किया गया तो इमरान खान ने कहा कि भारत सबूत दे तो वह ठोस कार्रवाई करेगा। जब भारत ने सबूत सौंपे तो इमरान खान वादे से मुकर गए और आर्मी के दबाव में ठोस सबूत देने का राग अलापने लगे, जबकि मसूद अजहर ने खुद ही इस बात को स्वीकार किया था कि पुलवामा हमले को उसने अंजाम दिया है। लिहाजा पाकिस्तान के वादों पर दम नहीं दिखता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इमरान खान ‘नया पाकिस्तान’ का राग अलाप कर दुनियाभर में यह जताने की कोशिश जरूर कर रहे हैं कि वे आतंक के खिलाफ हैं, लेकिन वास्तविकता तो यही है कि इमरान खान चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। हाल के कुछ निर्णयों से इमरान खान दुनिया को यह भी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे आतंकवाद ( Terrorism ) की लड़ाई में आगे बढ़ रहे हैं, पर क्या इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ इसे लेकर आगे बढ़ पाएगा ये मुमकिन नहीं लगता है।
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