नई दिल्ली। वो सिर्फ 12 साल का है, लेकिन इस छोटी सी उम्र में ही विजेता बनना जैसे उसकी आदत में शुमार हो गया है। इस छोटी सी उम्र में 82 गोल्फ टूर्नामेंट खेलकर 69 खिताब अपने नाम करने वाले अर्जुन भाटी की एक ही दिली तमन्ना है। यह तमन्ना है, देश के लिए ओलंपिक में स्वर्ण जीता। इसी महीने मलेशिया के जोहोर बाहरू में अंडर-12 यूएस किड्स जूनियर गोल्फ विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले अर्जुन का विश्वास इस टूर्नामेंट में 21 देशों के इस आयु वर्ग के सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों को पछाडऩे के बाद अब सातवें आसमान पर है।
अर्जुन ने मीडिया से कहा, इस टूर्नामेंट में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया और भारत की ओर से क्वालीफाई करने वाला मैं एक मात्र खिलाड़ी था। मुझे इस आयु वर्ग में अपनी नंबर एक रैंङ्क्षकग के कारण विश्व चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला। अमेरिका के टाइगर वुड्स और भारत के जीव मिल्खा ङ्क्षसह तथा एसएसपी चौरसिया को अपना आदर्श मानर्न वाले अर्जुन ने कहा कि उसने आठ साल की उम्र में गोल्फ कोर्स में दूसरों को खेलते हुए देखकर गोल्फ खेलना सीखा। सातवीं कक्षा के छात्र अर्जुन ने कहा कि गोल्फ व्यक्तिगत खेल है और इसमें मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है, चाहे फिर वह उसकी उम्र का ही खिलाड़ी क्यों न हो।
वुड्स के बारे में पूछे जाने पर अर्जुन ने कहा कि जब वुड्स कुछ साल पहले दिल्ली गोल्फ क्लब आए थे तो वह उनसे मिल नहीं पाया था लेकिन 18 होल के राउंड में उनके पीछे-पीछे उनके खेल को देखता रहा था। अर्जुन की जीव मिल्खा से भी मिलने की भी इच्छा है और वह चौरसिया के खेल को भी फॉलो करता है। नए साल के लिए इस प्रतिभाशाली गोल्फर ने कहा कि छह जनवरी से उसे डीएलएफ गोल्फ कोर्स में अल्बट्रोस टूर्नामेंट खेलना है और अप्रैल में थाईलैंड में एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है।
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