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सचिन, कोहली ही नहीं मनप्रीत ने भी पिता की मौत वाले दिन खेला है मैच, दिलाई है टीम को जीत

पिता की मौत के बाद भी मैच खेलते हुए टीम को जीत दिलाने वाले खिलाड़ियों की श्रेणी में सचिन, कोहली, योगेश्वर के साथ मनप्रीत सिंह भी है।

Nov 20, 2017 / 04:04 pm

Prabhanshu Ranjan

story of indian hockey captain manpreet singh

नई दिल्ली। कोई खिलाड़ी अपने खेल से कितना लगाव रखता है, इसका निर्धारण केवल उसका करियर ग्राफ नहीं करती। खेल के प्रति समर्पण की भावना का निर्धारण करते हुए कई बार खिलाड़ियों के मानवीय पहलू को भी ध्यान में रखा जाता है। यह भी देखा जाता है कि कोई खिलाड़ी विषम परिस्थिति में रहते हुए भी टीम को कैसे जीत दिलाता है? इंसानी जीवन में किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा दूख तब होता है, जब उसे अपने किसी चहेते की मौत की जानकारी मिलती है। खिलाड़ियों के साथ भी ऐसा कई बार हुआ है। आप ये तो जानते ही होगे कि सचिन और कोहली वे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने पिता के निधन की जानकारी मिलने के बाद भी मैच खेला। आज हम आपको रूबरू करा रहे है एक एेसे खिलाड़ी से, जिन्होंने अपने पिता के मौत की सूचना मिलने के बाद भी न केवल मैच खेला बल्कि भारत को जीत दिलाई। ये हैं भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह। जिन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए आज वो मुकाम हासिल किया है, जो किसी खिलाड़ी के लिए सपना होता है।

 

 

story of indian hockey captain manpreet singh
हॉकी की दिवानगी के कारण कमरे में बंद कर दिए जाते थे मनप्रीत

मनप्रीत सिंह का जन्म 26 जून 1992 को पंजाब के जालंधर स्थित मीठापुरा गांव में हुआ था। उनके पिता किसान थे। मनप्रीत सिंह को शुरू से हॉकी का शौक था। और जब समय मिलता गांव स्थित मैदान में हॉकी खेलने चले जाते थे। परन्तु अपने सारे काम छोड़ हॉकी खेलने जाना उनकी मां को नहीं पसंद था। इस कारण जब भी मनप्रीत ऐसा करते उनकी मां उन्हें कमरे में बंद कर दिया करती थीं। लेकिन मनप्रीत कहां मानने वाले थे उनका यह शौक धीरे-धीरे जुनून में बदल रहा था। खास बात यह थी कि मनप्रीत के बड़े भाई भी हॉकी के खिलाड़ी। जब हॉकी के दीवाने को कमरे में बंद करने वाली बात हॉकी कोच को पता चली तो वे नाराज हुए। कोच ने उनके भाई से कहा, बच्चा हॉकी खेलना चाहता है तो मैदान में क्यों नहीं लाते। इसके बाद मनप्रीत का मैदान में आना शुरू हो गया। मनप्रीत बचपन से प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी पेनल्टी विशेषज्ञ और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान पर परगट सिंह के दीवाने थे। परगट के लिए कहा जाता है कि जब भी टीम इंडिया पर संकट आता तो परगट पेनल्टी से प्रतिद्वंद्वी टीम के पसीने छुड़ा देते थे।

 

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योग और ध्यान से फोकस
हॉकी के मैच से पूर्व मनप्रीत ध्यान और योगा कर अपने मन को शांतचित्त करते हैं। इसके अलावा वे पंजाबी संगीत खास कर हनी सिंह और दिलजीत दोसांझ के गीत खासा पसंद हैं। मनप्रीत अभिनेता सलमान खान और महेंद्र सिंह धोनी के भी फैन हैं। वे धोनी पर बनी फिल्म कई बार देख चुके हैं। उनकी इच्छा है कि अगर जीवन में कभी फिल्म में एक्टिंग करने का मौका मिला तो वे चूकेंगे नहीं।
जूनियर प्लेयर ऑफ द ईयर
साल 2013 में मनप्रीत सिंह जूनियर हॉकी की इंडिया टीम के कप्तान बने। 2013 में हॉकी का प्रसिद्ध टूर्नामेंट सुलतान जोहोर कप जिताने वाले पहले भारतीय कप्तान थे। प्रतियोगिता के फाइनल मलेशिया की मजबूत टीम को 3-0 से हरा भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। साल 2014 एशिया हॉकी फैडरेशन ने उन्हें जूनियर प्लेयर ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा।
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2012 में पहली बार टीम इंडिया में
सीनियर हॉकी 2012 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत का पहले बार प्रतिनिधित्व किया। 2014 के एशियन गेम्स में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। फाइनल में इंडिया ने पाकिस्तान को 4-2 से हराया था। 2014 में स्कॉटलैंड में कॉमनवेल्थ टूर्नामेंट में फाइनल में आस्ट्रेलिया से 4-0 से हार कर रजत पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे। मनप्रीत 2014 में लंदन में आयोजित पुरुष हॉकी चैम्पियंस ट्रॉफी के मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके फाइनल में आस्ट्रेलिया से 3-1 से मैच गंवा रजत जीतने वाली टीम के सदस्य थे। इस प्रतियोगिता में भारत 38 साल बाद फाइनल में पहुंचा था। 2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की चुनी हुई टीम का सदस्य बनाया गया।

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पिता की मौत के बाद नहीं थमें मनप्रीत के कदम
6 अप्रेल 2016 को सुलतान जोहोर कप के पहले मैच में भारत को जापान के विरुद्ध मैच खेलना था। तभी सूचना मिली की मनप्रीत के पिता का निधन हो गया। मनप्रीत मैच खेले और टीम इंडिया को जीत मिली। मैच के तुरंत बाद मनप्रीत भारत रवाना हुए। पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद वे घर ही थे। तभी मनप्रीत की माताजी ने उन्हें बुलाया और कहा, बेटा तुम्हारे पिता चाहते थे तुम देश के लिए खेलो। अपनी मां की यह बात सुन मनप्रीत ने अपना सामान पैक किया और निकल पड़े वापस सुलतान जौहोर कप खेलने। वे मलेशिया पहुंचे और टीम इंडिया में शामिल हुए। खास बात यह रही कि भारत ने मनप्रीत के बिना एक मैच खेला परन्तु टीम वो मैच 5-1 से आस्ट्रेलिया से हार गई। उस मैच में आस्ट्रेलिया के सभी काले रिबन बाद खेले और मैच से पूर्व दो मिनट मौन रख मनप्रीत के पिता को श्रद्धांजलि दी। खैर, मनप्रीत टीम में शामिल हुए और अगला मैच भारत ने कनाडा से खेला और जीत हासिल हुई। इस मैच में कनाडा को 3-1 से हराया।

और मिली कप्तानी…
2016 में तीन देशों के हॉकी टूर्नामेंट के लिए टीम इंडिया की कमान मनप्रीत के हाथों में आई। मनप्रीत की कप्तान में भारत ने मलेशिया को 2-1 हरा सालों बाद एशिया कप हॉकी में स्वर्ण पदक हासिल किया।

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पाकिस्तानी लड़की ने चुराया दिल
मलेशिया निवासी पाक मूल की इली नजवा सिद्धिकी उर्फ नवप्रीत से मनप्रीत की आंखें चार हुई। इस कारण भी वे सुर्खियों में रही। नवप्रीत उनकी फैन थी और 2013 में हुए सुलतान जौहोर कप के दौरान वो मनप्रीय की सैल्फी ले रही थीं तभी मन और नव ने एक-दूजे को देखा। और आंखों ही आंखों में एक-दूजे हो बैठे।

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