‘मैं अपनी मां को कभी नहीं बता सकी’
हरियाणा की 32 वर्षीय साक्षी मलिक ने कहा कि मैं अपने परिवार को इसके बारे में नहीं बता सकी, क्योंकि मुझे लगा कि यह मेरी गलती है। मेरे स्कूल के दिनों से ही मेरा ट्यूशन टीचर मुझे परेशान करता था। वह मुझे कभी-कभी क्लास के लिए अपने घर बुलाता था और कभी-कभी मुझे छूने की कोशिश करता था। मुझे ट्यूशन क्लास में जाने से डर लगता था, लेकिन मैं अपनी मां को कभी नहीं बता सकी।
टकराव से डर लगता था- साक्षी
अपने करियर की शुरुआत में अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए साक्षी ने कहा कि उन्हें टकराव से डर लगता था और अपने करियर की शुरुआत में वह अपने मुकाबलों से भागने के बारे में सोचती थीं। यह एक ऐसा डर है, जो मैंने अपने करियर के अंत तक अपने साथ रखा। मैंने कभी भी टकराव के बारे में नहीं सोचा।
‘कभी भी लड़ाई के लिए ज़रूरी निडरता विकसित नहीं कर सकी’
उन्होंने यहा भी बताया कि कुश्ती में मेरी शुरुआत बहुत धीमी थी। मैंने कुश्ती के मैदान पर पहली बार कदम रखने के लगभग दो साल बाद ही अपना पहला मुकाबला जीता। ऐसा नहीं था कि मेरे पास कोई शारीरिक कौशल नहीं था। मैं हमेशा अपनी उम्र के हिसाब से अपने कोचिंग सेंटर की सबसे तेज़ और मज़बूत लड़कियों में से एक थी लेकिन मैंने कभी भी लड़ाई के लिए ज़रूरी निडरता विकसित नहीं की। मैं हमेशा अपने मुकाबलों से पहले बहुत घबरा जाती थी।
बबीता फोगाट पर भी लगाए आरोप
हालांकि बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान वह विद्रोह की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीतिक वर्ग ने उन्हें निराश किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व पहलवान बबीता फोगाट, जो अब भाजपा की राजनीतिज्ञ हैं, उनके स्वार्थी इरादे थे। भले ही उन्होंने खुद को विरोध करने वाले तीनों के शुभचिंतक के रूप में पेश किया हो।
‘किसी और को लाना चाहती थी बबीता फोगाट’
मुझे पता है कि विनेश और बजरंग का प्राथमिक लक्ष्य बृजभूषण शरण सिंह का शासन समाप्त करना था। मैंने यह सोचने की गलती की कि बबीता का भी यही एकमात्र इरादा था…. लेकिन वह सिर्फ बृजभूषण शरण सिंह से छुटकारा नहीं चाहती थी, वह उनकी जगह किसी और को लाना चाहती थी। बता दें कि इस दावे पर अभी तक बबीता की कोई टिप्पणी नहीं आई है।