वर्तमान में महिला क्लासिकल चेस में विश्व रैंकिंग में छठे स्थान पर काबिज कोनेरू हंपी का लक्ष्य प्रतिष्ठित शतरंज टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ना है। कोनेरू हंपी की नॉर्वे शतरंज महिला में वापसी उनके शानदार करियर को उजागर करती है। 2002 में वह ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। अब वह महिला शतरंज में भारत की नंबर-1 और दुनिया भर में एक सम्मानित शतरंज खिलाड़ी हैं।
उनकी उपलब्धियों में 2019 और 2024 में दो बार विश्व रैपिड चैम्पियनशिप का खिताब जीतना शामिल है। ओलंपियाड, एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में उनकी जीत ने शतरंज में शीर्ष महिला खिलाड़ियों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को और पुख्ता किया है। नार्वे शतरंज 2025 हंपी को एक बार फिर अपने कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर देगा।
शतरंज के इतिहास में 2600 रेटिंग मार्क को पार करने वाली केवल दो महिला खिलाड़ियों में से एक के रूप में उन्होंने लगातार चुनौतियों से पार पाया है। इस वर्ष उनकी भागीदारी उनके दृढ़ संकल्प और उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की इच्छा को दर्शाती है।
कोनेरू हंपी ने कहा, प्रतिष्ठित नार्वे शतरंज महिला टूर्नामेंट में खेलना सम्मान की बात है।” जब उनसे खुद का वर्णन करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने “आत्म-अनुशासित” शब्द चुना, एक ऐसा गुण जो शतरंज के प्रति उनके दृष्टिकोण और शीर्ष पर उनके उत्थान को परिभाषित करता है। इस अनुशासन ने उन्हें कठिन प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ भी केंद्रित, सुसंगत और लचीला बने रहने में मदद की है। वैश्विक टूर्नामेंटों में हम्पी की भागीदारी महत्वाकांक्षी शतरंज खिलाड़ियों, विशेष रूप से भारत और दुनिया भर की युवा महिलाओं को प्रेरित करती रहती है। उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और अनुशासन किस तरह असाधारण सफलता की ओर ले जा सकते हैं।
नार्वे शतरंज के संस्थापक और टूर्नामेंट निदेशक केजेल मैडलैंड ने कहा, “हंपी की उपलब्धियां बहुत कुछ बयां करती हैं। हमें नार्वे शतरंज महिला 2025 में उनका स्वागत करते हुए खुशी हो रही है।”