- संजय निघोजकर, धार
लोकतंत्र को मजबूत बनाना होगा
सुशासन राष्ट्र को आदर्श बनाने के लिए सरकार और जनता के बीच विश्वास और सहयोग आवश्यक है। टिकाऊ मानव विकास, स्वस्थ लोकतंत्र और अवसरों की समानता जैसे पहलुओं पर जोर देना चाहिए। सरकार को ज्यादा पारदर्शी, जिम्मेदार और प्रभावी बनना होगा। सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर करने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए। मौजूदा भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाना चाहिए।- मोदिता सनाढ्य, उदयपुर
सुशासन की अवधारणा धरातल से तय हो
सरकार को जनता की शिकायतों और समस्याओं का समाधान प्रभावी तरीके से करना चाहिए। ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से नागरिकों की शिकायतें सुनी जाएं। समय-समय पर योजनाबद्ध सर्वेक्षण करवाना और जनता और सरकार के संबंध मजबूत करना भी जरूरी है।-जितेश कुमार शर्मा, दूदू
चाहिए भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली
देश में सुशासन के लिए सभी सरकारी विभागों में तालमेल बनाकर जनता से जुड़ी समस्याओं का निवारण जल्द से जल्द करना चाहिए। सरकारी प्रक्रियाओं को भ्रष्टाचार मुक्त और निष्पक्ष बनाने की दिशा में ठोस प्रयास जरूरी हैं।- वसंत बापट, भोपाल
सरकारी नीतियों का सम्मान जरूरी
सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों का सम्मान और जनता का सहयोग देश में सुशासन के लिए महत्वपूर्ण है। हर क्षेत्र जैसे चिकित्सा, शिक्षा, या राजनीति में जनता और सरकार के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। युवाओं को भी राष्ट्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।- मुकेश सोनी, जयपुर
सुशासन में कर्तव्यनिष्ठा का महत्व
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का निष्ठा और पारदर्शिता से पालन करना चाहिए। सरकारी तंत्र को सजग रहकर जनता की समस्याओं का समय पर समाधान करना चाहिए।- राजकुमार पाटीदार, झालावाड़
चुनाव सुधार से सुशासन संभव
देश में सुशासन के लिए चुनाव प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना होगा। चुनावों में धन के प्रयोग को समाप्त कर सोशल मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार की अनुमति होनी चाहिए।- चंद्रशेखर प्रजापत, जोधपुर
प्रतिनिधित्व और संविधान का पालन अनिवार्य
सुशासन के लिए नेताओं को संविधान का गहन अध्ययन करना चाहिए और अपने आचरण को भ्रष्टाचार मुक्त रखना चाहिए। जनता का भरोसा जीतने के लिए कानून, न्याय और लोक कल्याणकारी प्रशासन का पालन जरूरी है।-कृष्ण पाल मेघ, राजस्थान
संविधान होठों पर नहीं, दिलों में हो
संविधान में निहित कर्तव्यों पर नागरिकों का ध्यान नहीं है, लेकिन अधिकारों के लिए जबरन अशांति पूर्ण हड़तालें, धरने, प्रदर्शन, चक्काजाम, सरकारी सम्पत्ति की तोड़फोड़, झूठे आरोप, देश और तिरंगे का अपमान जैसे कृत्यों पर कठोरतम कानून का क्रियान्वयन और सजा होनी चाहिए। कट्टर साम्प्रदायिक नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लगाने के लिए भी कठोरतम कानून लागू करना चाहिए। देश का प्रत्येक स्कूल, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय सर्वधर्म और सर्वजाति के लिए होना चाहिए। आपातकाल के दौरान संविधान में किए गए असंवैधानिक संशोधन को हटाना चाहिए।