मूल भावना की अनेदखी
आजादी के बाद आरक्षण का प्रावधान सच्ची भावना के साथ लाया गया था। अगर उसी भावना के साथ इसे लागू किया गया होता, तो प्रारम्भ के दस से बीस सालों में ही आरक्षण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया होता। अफसोस हमारे नेताओं ने आरक्षण को राजनीति की बैसाखी की तरह प्रयोग किया। परिणाम यह है कि आरक्षण का मूल स्वरूप और मूल भावना राजनीति के भंवर में खो गई है।
-बिपिन चंद्र जोशी, बंगलौर
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आजादी के बाद आरक्षण का प्रावधान सच्ची भावना के साथ लाया गया था। अगर उसी भावना के साथ इसे लागू किया गया होता, तो प्रारम्भ के दस से बीस सालों में ही आरक्षण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया होता। अफसोस हमारे नेताओं ने आरक्षण को राजनीति की बैसाखी की तरह प्रयोग किया। परिणाम यह है कि आरक्षण का मूल स्वरूप और मूल भावना राजनीति के भंवर में खो गई है।
-बिपिन चंद्र जोशी, बंगलौर
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कायम नहीं हुई समानता
आजादी के समय आरक्षण के माध्यम से सभी वर्गों में समानता स्थापित करना ही उद्देश्य था, परंतु सात दशक बाद भी आम जनता समानता के अधिकार से कोसों दूर है। आरक्षण के नाम पर अपाहिज बनाकर लक्ष्य से भटकाया जा रहा है।
-जानकी झा, कटक, ओडिशा
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आजादी के समय आरक्षण के माध्यम से सभी वर्गों में समानता स्थापित करना ही उद्देश्य था, परंतु सात दशक बाद भी आम जनता समानता के अधिकार से कोसों दूर है। आरक्षण के नाम पर अपाहिज बनाकर लक्ष्य से भटकाया जा रहा है।
-जानकी झा, कटक, ओडिशा
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आर्थिक आधार पर ही हो आरक्षण
लंबे समय से आरक्षण व्यवस्था होने के बावजूद भी धनवान व निर्धन के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण निर्धनता और निरक्षरता है। जिन लोगों को आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है, उसका कारण शिक्षा का अभाव है। आरक्षण का आधार आर्थिक आधार पर होना चाहिए, जिससे निचले तबके के लोगों को भी लाभ मिले।
-रमेश बीठू, सींथल, बीकानेर
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लंबे समय से आरक्षण व्यवस्था होने के बावजूद भी धनवान व निर्धन के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण निर्धनता और निरक्षरता है। जिन लोगों को आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है, उसका कारण शिक्षा का अभाव है। आरक्षण का आधार आर्थिक आधार पर होना चाहिए, जिससे निचले तबके के लोगों को भी लाभ मिले।
-रमेश बीठू, सींथल, बीकानेर
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आरक्षण स्थाई क्यों?
आरक्षण की व्यवस्था हमेशा के लिए नहीं की गई थी। यह व्यवस्था 10 साल के लिए लागू किया गया था। पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आरक्षण व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं। आरक्षण जाति के आधार पर दिया जाता है। किसी जाति का हर परिवार पिछड़ा हुआ नहीं होता।
-असमीत कौर, कोरबा, छतीसगढ़
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बार-बार आरक्षण का लाभ क्यों
आरक्षण व्यवस्था का लाभ जिस व्यक्ति को मिला, उसे आरक्षण व्यवस्था से बाहर नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि आरक्षण का लाभ आरक्षित जातियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुचा। आरक्षण का उद्देश्य पूरा करना है तो सक्षम परिवार को इस व्यवस्था से बाहर कर देना चाहिए।
-कुलदीप पारीक, नागौर
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आरक्षण की व्यवस्था हमेशा के लिए नहीं की गई थी। यह व्यवस्था 10 साल के लिए लागू किया गया था। पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आरक्षण व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं। आरक्षण जाति के आधार पर दिया जाता है। किसी जाति का हर परिवार पिछड़ा हुआ नहीं होता।
-असमीत कौर, कोरबा, छतीसगढ़
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बार-बार आरक्षण का लाभ क्यों
आरक्षण व्यवस्था का लाभ जिस व्यक्ति को मिला, उसे आरक्षण व्यवस्था से बाहर नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि आरक्षण का लाभ आरक्षित जातियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुचा। आरक्षण का उद्देश्य पूरा करना है तो सक्षम परिवार को इस व्यवस्था से बाहर कर देना चाहिए।
-कुलदीप पारीक, नागौर
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आरक्षण का लक्ष्य
आरक्षण का उद्देश्य न्याय, समता व बंधुता है। ऊंच-नीच व अमीर-गरीब की खाई पाटने का आरक्षण एक संवैधानिक मार्ग है। आजादी के ७ दशक बाद भी आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सके।
-शोभा बनसोड, भैंसदेही, मप्र
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आरक्षण का उद्देश्य न्याय, समता व बंधुता है। ऊंच-नीच व अमीर-गरीब की खाई पाटने का आरक्षण एक संवैधानिक मार्ग है। आजादी के ७ दशक बाद भी आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सके।
-शोभा बनसोड, भैंसदेही, मप्र
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नहीं मिला आरक्षण का लाभ
आजादी के ७ दशक बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य इसलिए पूरा नहीं हो सका, क्योंकि आरक्षित जातियों में भी बार-बार आरक्षण पाकर एक वर्ग समृद्ध बन गया है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनको आरक्षण नहीं मिला है। अकेले राजस्थान में ऐसे परिवार हैं, जिनमें दस से ज्यादा आइएएस और आइपीएस हैं। दूसरी ओर ऐसी जातियां हैं, जिनमें हजारों में एक आदमी को भी आरक्षण नहीं मिला।
-श्रीराम शर्मा, खाचरियावास
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आजादी के ७ दशक बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य इसलिए पूरा नहीं हो सका, क्योंकि आरक्षित जातियों में भी बार-बार आरक्षण पाकर एक वर्ग समृद्ध बन गया है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनको आरक्षण नहीं मिला है। अकेले राजस्थान में ऐसे परिवार हैं, जिनमें दस से ज्यादा आइएएस और आइपीएस हैं। दूसरी ओर ऐसी जातियां हैं, जिनमें हजारों में एक आदमी को भी आरक्षण नहीं मिला।
-श्रीराम शर्मा, खाचरियावास
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आरक्षण के नाम पर राजनीति
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण लागू है। पिछले कई वर्षों से आरक्षण के नाम पर राजनीति हो रही है। सत्तालोलुप राजनेता अपना वोट बैंक बनाने के लिए आरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस वजह से आजादी के 75 सालों के बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।
-गोपाल रैकवार, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण लागू है। पिछले कई वर्षों से आरक्षण के नाम पर राजनीति हो रही है। सत्तालोलुप राजनेता अपना वोट बैंक बनाने के लिए आरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस वजह से आजादी के 75 सालों के बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।
-गोपाल रैकवार, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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न मिले बार-बार आरक्षण
आजादी के ७ दशक बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं होने का मुख्य कारण राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। जिस व्यक्ति ने एक बार आरक्षण का लाभ ले लिया, उसकी संतान को लाभ मिलना बंद होना चाहिए।
-नरेन्द्र सिंह गौड़, चितौडग़ढ़
आजादी के ७ दशक बाद भी देश में आरक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं होने का मुख्य कारण राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। जिस व्यक्ति ने एक बार आरक्षण का लाभ ले लिया, उसकी संतान को लाभ मिलना बंद होना चाहिए।
-नरेन्द्र सिंह गौड़, चितौडग़ढ़