ओपिनियन

सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने की योजना का विरोध क्यों किया जा रहा है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Aug 26, 2021 / 04:56 pm

Gyan Chand Patni

सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने की योजना का विरोध क्यों किया जा रहा है?

जनता की बढ़ जाएगी मुश्किल
वर्तमान में जो सरकारी संपत्ति को बेच कर या लीज पर देकर पूंजी जुटाई जा रही है, उसके दूरगामी प्रभाव बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं। यह बात हर व्यक्ति भलीभांति जानता है कि निजी कंपनी का एकमात्र उद्देश्य केवल लाभ कमाना ही होता है। ऐसे में बुनियादी सेवाएं जैसे सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट को निजी हाथों में देकर सरकार राशि तो जुटा लेगी, लेकिन इसकी कीमत जनता को चुकानी पड़ेगी। प्लेटफॉर्म फीस और यात्री किराया जैसी सुविधाओं की दरें आसमान छुएंगी। ये आम जनता के बस से बाहर हो जाएंगी। यात्रा जैसी मूलभूत सुविधाएं जनता को मुहैया करवाना सरकार की जिम्मेदारी है। वर्तमान लाभ के लिए इन्हें जनता की पहुंच से दूर नहीं किया जाना चाहिए। आम जन निजीकरण के खिलाफ है।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
……………………………
केवल निजी क्षेत्र को लाभ
सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने का विरोध मुख्यत: इसलिए किया जा रहा है कि इससे निजी व्यवसाई कम लागत में मोटा मुनाफा कमाएंगे और आम जन को मिलने वाली सुविधाओं की कीमत ज्यादा वसूली जाएगी। संपत्तियों को लीज पर लेने वाले केवल अपने फायदे के लिए ही रखरखाव करेंगे। इससे संपत्तियों के क्षरण की पूर्ण संभावना रहेगी, क्योंकि उन पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं रहेगा। सरकार संपत्तियों को लीज पर देने की योजना को बुनियादी ढांचे के निर्माण का वित्तपोषण होना बता रही है, लेकिन इससे मात्र निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचेगा। यही कारण है कि इस योजना का मुखर विरोध हो रहा है।
-विमल कुमार शर्मा, जयपुर
……………………….

शोषण करेगा निजी क्षेत्र
भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसमें जनता द्वारा जनता के लिए, जनता की सरकार चुनी जाती है। यदि सरकार सार्वजनिक संपत्तियों को निजी क्षेत्र को लीज पर देने लग गई तो गरीब आदमी का तो जीना भी दूभर हो जाएगा। लीज वाली संपत्तियों के जरिए निजी क्षेत्र जनता का शोषण करेगा, जो एक लोकतांत्रिक देश में उचित नहीं है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरु
…………………….
विकास के लिए जरूरी
सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने का कार्य उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के समय से ही शुरू हो गया था। देश की आर्थिक स्थिति व बीमार सरकारी क्षेत्रों के विकास के लिए यह नितांत आवश्यक है। योजनाओं पर कम्पनियों के द्वारा किए जाने वाली खर्च राशि व लीज का समय और स्वामित्व के सम्बन्ध में सही जानकारी अगर जनता तक पहुंचाने का कार्य किया जाए तो इतना विरोध नहीं होगा।
-गिरधारी लाल, श्रीमाधोपुर, सीकर
………………………………
विनिवेश का गलत तरीका
सोशल मीडिया पर सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में दिए जाने के ऐलान को लेकर लोग सशंकित हैं। देश में पूंजी की सख्त कमी है। घरेलू कंपनियों के पास पूंजी नहीं है। इनमें से कई कर्जदार भी हैं। बैंकों की हालत भी ढीली है। ऐसे में सरकार यदि सरकारी संपत्तियों को विनिवेश की योजना बनाती है काफी संख्या में नौकरियां जाने का खतरा है।
– अजिता शर्मा, उदयपुर
……………………..
निजीकरण में वृद्धि
सरकारी संपत्तियों को लीज पर देना अथवा रेलवे स्टेशनों का निजीकरण करना एक विशेष समूह को फायदा पहुंचाने जैसा प्रतीत हो रहा है। इससे आम जनता के हितों के साथ गरीब लोगों की जेब पर भी भार पड़ेगा। संवैधानिक मूल्यों के विपरीत निजीकरण सबका साथ सबका विकास में भी बाधक सिद्ध होगा। अत: सरकार को अन्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
………………………
बहुत मेहनत से बनती है संपत्ति
संपत्ति चाहे सरकारी हो अथवा निजी वह बहुत कठिन परिश्रम करके बनाई जाती है। सरकारी संपत्तियों को बनाने के लिए योजनाएं बनाई जाती हंै। बहुत समय भी लगता है। इससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है। यह संपत्ति जनता की कहलाती है और अब इन्हीं संपत्तियों को निजी हाथों में लीज पर दिया जा रहा है, जो सही नहीं है। अब इन संपत्तियों पर चुनिंदा लोगों का ही अधिकार हो जाएगा और वे लोग इन संपत्तियों का संचालन अपने हिसाब से करेंगे।
-महेश सक्सेना, भोपाल, म.प्र.
…………………………
संसाधनों का उपयोग
देश के विकास के लिए आर्थिक ढांचा अत्यंत आवश्यक होता है। राष्ट्र को अपनी सारी भौतिक व आर्थिक संपत्ति पर सभी का अधिकार मानकर, अपनी स्थाई सम्पत्तियों का श्रेष्ठतम उपयोग करना चाहिए। दूसरे देशों से उधार लेने की बजाय अपने संसाधनों का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने का मकसद भी यही है।
-राम कृष्ण रतनू, जोधपुर
………….
खर्चे कम करे सरकार
केंद्र सरकार अगर कोरोना वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए सरकारी कंपनियों को बेचने का मन बना रही है तो यह सरकार की सबसे बड़ी नासमझी और गलती होगी। आखिर कब तक सरकार संपत्तियों को बेचकर अपना खजाना भरती रहेगा? वैश्विक महामारी जाने वाली नहीं है। इसलिए सरकार को महामारी के साथ चलते हुए देश की आर्थिक व्यवस्था को गति देने की राह तलाशनी होगी, जैसे कि सरकार को अपने खर्च कम करने होंगे। मुफ्तखोरी पर कुछ समय के लिए लगाम लगानी चाहिए।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर।
…………………………
रोजगार में कमी
सरकारी सम्पतियों को लीज पर देने से निजी क्षेत्रों का वर्चस्व हो जाएगा, जिससे महंगाई बढेगी। साधारण व्यक्ति के जीवन पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। रोजगार में कमी आती है।
-संजय माकोड़े बड़ोरा बैतूल
………………………
विकास के लिए जरूरी
सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने का कार्य उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के समय से ही शुरू हो गया था। देश की आर्थिक स्थिति व बीमार सरकारी क्षेत्रों के विकास के लिए यह नितान्त आवश्यक है। योजनाओं के बारे में अगर जनता तक सही जानकारी पहुंचाई जाए, तो इतना विरोध नहीं होगा।
-गिरधारी लाल, श्रीमाधोपुर, सीकर
……………………
अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक
निजीकरण का विरोध मात्र राजनीतिक है, क्योंकि यूपीए के शासनकाल में भी बड़ी मात्रा में निजीकरण किया गया था। विपक्ष द्वारा निजीकरण को बेचना कहकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान के लिए निजीकरण आवश्यक है। इसका विरोध करना हास्यास्पद है।
– शुभम बंसल, सवाईमाधोपुर
………………………..
उचित है फैसला
सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने का विरोध इसलिए किया जा रहा है कि कहीं सरकार अपने लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश तो नहीं कर रही है । दूसरा विपक्ष का काम ही सरकार का विरोध करना है चाहे मुद्दा कुछ भी हो । निष्क्रिय पड़ी सरकारी संपत्तियों को लीज पर देना उचित ही है।
-श्रीकृष्ण पचौरी ग्वालियर मध्यप्रदेश।
……………………………….
जिम्मेदारी से बच रही है सरकार
सरकारी संपत्तियों को बेचना या लीज पर देना जिम्मेदारियों से पल्ला झाडऩा है। सरकारी संपत्ति जन सम्पत्ति है। जनांदोलनों में जब भीड़ सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाती है, तो सरकार कार्रवाई करती है। अब सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में देने से जनता में नाराजगी है। सरकारें जनहित में अपने फिजूल के खर्चों पर लगाम लगाए।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
……………….
निजीकरण को बढ़ावा
सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण व सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने व बेचने की योजना का विरोध वाजिव है। केंद्र सरकार की यह प्रवृत्ति घातक है। इससे बेरोजगारी को बढ़ावा मिलेगा।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
…………………………
सरकारी नौकरियों पर संकट
बड़ी-बड़ी सरकारी कंपनियां जैसे रेलव, एयरलाइंस आदि को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। इससे सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम होंगे। बड़ी कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा, फिर भी आम जन का विरोध उचित है।
-अजय सिंह सिरसला, चुरू
…………………………..
पूंजीवाद को बढ़ावा
केन्द्र सरकार मौद्रीकरण की आड़ में सरकारी संपत्तियों को लीज पर दे रही है। इससे निजीकरण व पूंजीवाद को बढ़ावा मिलेगा। सरकारी नौकरियों के अवसर कम होंगे। ठेकेदारी प्रथा व सामन्तवाद हावी होगा, जिससे श्रमिक वर्ग में असंतोष पैदा होगा।
-मदनलाल लंबोरिया, भिरानी

Hindi News / Prime / Opinion / सरकारी संपत्तियों को लीज पर देने की योजना का विरोध क्यों किया जा रहा है?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.