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प्रसंगवश: रसद विभाग में घपलेबाजों से सिर्फ वसूली ही क्यों?

सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के आवेदन के समय सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतनी चाहिए

Jun 10, 2022 / 10:48 pm

Patrika Desk

प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में लाभार्थियों की पात्रता शर्तों में साफ उल्लेख है कि किसी परिवार का एक भी सदस्य सरकारी या अर्द्ध सरकारी व स्वायत्तशासी संस्थाओं में कार्यरत हो अथवा एक लाख रुपए वार्षिक पेंशन प्राप्त करता हो तो उसे इस योजना का लाभार्थी नहीं बनाया जा सकता। लेकिन सरकारी राशन का मोह सरकारी नौकरी जैसा ही है। इसीलिए पिछले दिनों ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इस योजना के तहत अपात्रता के बावजूद सरकारी कार्मिकों ने राशन उठा लिया। रसद विभाग इस योजना के पूर्व के गड्ढे अभी पूरी तरह भर भी नहीं पाया है कि एक और घपला सामने आ गया। इस बार सरकारी राशन पर नजर गड़ाने वाले सरकारी कर्मचारियों की संख्या 28 हजार के करीब है। खास बात यह कि घपले में अव्वल तीन जिलों में राजधानी जयपुर भी शामिल है, जहां विभाग के आला अधिकारी बैठते हैं। इस गड़बड़झाले को लेकर रसद विभाग संबधित अधिकारियों/कर्मचारियों को नोटिस देने की तैयारी में है। एक से दो रुपए में किलो गेहूं लेने वालों को अब 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देने पड़ेंगे।

खैर, इस तरह के हालात बार-बार बनने के पीछे बड़ी वजह यही है कि विभाग सिर्फ वसूली तक ही सीमित रहता है, उसमें भी औपचारिकता हावी रहती है। तभी तो गड़बड़ी करने वाले इसको गंभीरता से नहीं लेते। पिछली बार घपला सामने आया तब भी विभाग ने वसूली के लिए निर्देश जारी कर इतिश्री कर ली। आशातीत परिणाम सामने नहीं आए तो फिर एफआइआर दर्ज करवाने की घुड़की तक देनी पड़ी। इस घुड़की का जरूर असर हुआ और योजना के तहत लाभ उठाने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में पैसे जमा करवाए। बहरहाल, इस तरह के घपलों से तभी निबटा जा सकता है जब कार्रवाई कड़ी हो और सजा का प्रावधान भी हो। महज 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से वसूली करने से गड़बड़ी करने वाले बाज नहीं आने वाले। जानकार लोग इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों से शपथ पत्र लेने की दलील देते हैं। इसके बाद भी किसी का नाम इस तरह की योजनाओं में मिले तो उन पर एफआइआर दर्ज करवाकर कड़ी कार्रवाई हो। कहा भी गया है भय बिना प्रीत नहीं होती। इस योजना के लिए आवेदन के समय होने वाली सत्यापन प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। (म.सिं.शे.)

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