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आपकी बात, एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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Patrika Desk

Nov 24, 2022

आपकी बात, एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है?

आपकी बात, एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है?

मिलीभगत का खेल
डॉक्टर, केमिस्ट और मेडिकल कंपनियां अपने फायदे के लिए एंटीबायोटिक दवा के कारोबार को बढ़ा रहे हैं। बिना कारण मरीजों को एंटीबायोटिक दवाइयां खानी पड़ रही है। इसकी वजह से धीरे-धीरे इनका असर कम होने लगता है और मरीजों की जान को खतरा पैदा हो जाता है।
-राम नरेश गुप्ता, जयपुर
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स्वास्थ्य पर प्रभाव
आजकल मरीज की चिकित्सा के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग अधिकाधिक हो रहा है। ये दवाइयां अंधाधुंध लने पर स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है।
-पी.सी. खंडेलवाल, सांभर लेक, जयपुर
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चिकित्सक की सलाह लें
प्रतिजैविक दवाइयां एक स्तर तक प्रभावी होती हैं। इनके अत्यधिक उपयोग से इन दवाइयों के प्रति शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिससे मरीज का उपचार नहीं हो पाता। इसलिए चिकित्सकों के परामर्श से ही प्रतिजैविक दवाइयों का उपयोग करना चाहिए।
-मनु प्रताप सिंह,चींचडौली,खेतड़ी
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दवा कंपनियों का रवैया
मनुष्यों की सेहत से खिलवाड़ कर दवा कंपनियां एंटीबायोटिक दवाइयों की खपत बढ़ा रही हैं। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है।
-मोहन जांगिड, कांकरोली, राजसमंद
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घातक है सेहत के लिए
ज्यादा इस्तेमाल से एंटीबायोटिक दवाइयां असरकारी नहीं रह पातीं। इस तरह की जानकारी मरीजों को नहीं होती। पढ़े लिखे और अमीर लोग भी बीमार पडऩे पर खुद ही एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं। यह प्रवृत्ति सेहत के लिए घातक साबित होती है।
- नगेंद्र चारण, जोधपुर
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पशु-पक्षियों को भी दी जा रही हैं ये दवाइयां
वर्तमान समय में एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी खूब हो रहा है। पशु-पक्षियों के मास व वजन में वृद्धि के लिए इनका इस्तेमाल होता है, ताकि ज्यादा फायदा हो सके। इस तरह का मांस खाने से मनुष्यों में कई तरह की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
-सुरेंद्र कुमार बिन्दल अग्रवंशी जयपुर!
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पारंपरिक चिकित्सा ज्यादा उपयोगी
गलत जानकारी के कारण एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बढ़ता जा रहा है । पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देकर इस समस्या को कम किया जा सकता है।
-मोहन लाल सिन्धी, गुरुग्राम
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रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
आज हमारी जीवन शैली शरीर साधने वाली नहीं रही है। हमारा खान-पान और हमारी दिनचर्या बिगड़ गई है। हम व्यायाम से दूर हैं। परिणाम स्वरूप हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास हुआ है। यही कारण है कि हमें एंटीबायोटिक दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
-शिवराज सिंह मुवेल, झाबुआ, मध्य प्रदेश
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