अंधाधुंध खनन का प्रभाव हमारे पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों में पड़ रहा है। खनन के कारण निकलने वाले रेत के कण हवा में उड़ कर वातावरण को प्रदूषित करते हैं। इन सूक्ष्म कणों के हवा में फैलने के कारण इसका असर मानव जीवन पर भी पड़ रहा है, क्योंकि सूक्ष्म कण सांस लेने पर हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं। इससे श्वास तथा फेफड़े संबंधी अनेक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। खुले वाहनों में रेत भरकर ले जाने के कारण ये कण उड़ कर आंखों में चले जाते हैं, जिससे आंखें जख्मी हो सकती हैं। साथ ही इन वाहनों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। अवैध खनन के कारण भूगर्भ जल पर भी संकट आ गया है तथा जल प्रदूषित हो रहा है। सरकार को अवैध खनन के कारोबार को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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देश भर मे अनेक निर्माण कार्यों के चलते बालू रेत की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होने लगी है। इसकी आपूर्ति के लिए नदियों से अंधाधुंध रेत का खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ये रेत माफिया कानून का मजाक तो उड़ा ही रहे हैं, साथ ही पर्यावरण को भी बड़ी चोट पहुंचा रहे हैं। अंधाधुंध खनन के प्रभाव में नदी तल का क्षरण होना, जलस्तर का कम होना जैसी स्थितियां निर्मित हो रही हैं। नदियों के लगातार घटते जलस्तर, मानव के साथ-साथ जलचरों,वन्यजीवों और जंगलों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। बालू रेत के साथ अन्य कई खनिज पदार्थों के खनन के बाद इन्हें ढोने के लिए लगी सैकड़ों गाडिय़ों की आवाजाही से भी पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
-नरेश कानूनगो, बैंगलूरु, कर्नाटक
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खनन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसको रोकना अत्यंत आवश्यक है। खनन के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। पहाड़ों की सुंदरता खोती जा रही है, अवैध खनन की गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। इस संदर्भ में उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी कई आदेश जारी किए गए हैं, जिसकी पालना सुनिश्चित होनी चाहिए।
-उमेश कल्ला, जोधपुर
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अंधाधुंध खनन करने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। खनन की प्रक्रिया से हम पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। कुदरत ने जो एक संतुलित वातावरण हमें दिया है, हम उसके संतुलन को खराब कर रहे हैं। इसी असंतुलन के कारण कई जीव और जंतु की प्रजातियां नष्ट हो चुकी है। कुदरत के इस संतुलन के साथ छेड़छाड़ करना हमें बहुत भारी पड़ेगा।
-रितु शेखावत, पीपलू, टोंक
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अंधाधुंध खनन का प्रभाव हमारे पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से पड़ रहा है। खनन के बाद निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़कर शुद्ध वायु को दूषित करती है। इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच कर नई बीमारियों को जन्म देते हंै। नदियों व तालाबों से खनन करके लाई गई रेत का परिवहन खुले वाहनों में किया जाता है, जो हवा के साथ उडकर पर्यावरण को दूषित करती है। अत: प्रशासन को अवैध खनन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए और दोषियों को सख्त सजा देनी चाहिए।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
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पर्यावरण के लिए घातक है खनन
खुलेआम हो रहा खनन पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। खनन के बाद निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़ कर शुद्ध वायु को दूषित कर रही है। इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच रहे हैं। इससे बीमारियां शरीर में घर बना रही हैं। यह मामला इतना अधिक चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है कि हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। अवैध खनन से निपटने के लिए पुलिस व प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए।
डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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अंधाधुंध खनन करना अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। इससे वन क्षेत्र में कमी होती है। इससे वर्षा भी कम होती है। भविष्य के लिए संसाधन कम होने से प्लास्टिक जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक पदार्थों पर निर्भर होना होगा। वायुमंडल में मिट्टी के कणों की अधिकता प्रदूषण बढ़ाती है।
-भंवर लाल पारीक, भीलवाड़ा
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नदियों से रेत और पत्थर निकाल कर उसकी जैविक निर्मलता का हनन बहुत तेजी से किया जा रहा है। हरे-भरे प्राकृतिक वनों और पर्वतों को भूमाफिया द्वारा रोंदा जा रहा है। इसके बाद भी इंसान को शुद्ध हवा और प्राकृतिक वातावरण चाहिए। अंधाधुंध खनन के जरिए प्राकृतिक आपदाओं को चुनौती दी जा रही है।
शुभम् दुबे, इंदौर, मध्यप्रदेश
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बढ़ती हैं बीमारियां
कंपनियां अपने मुनाफे के लिए निर्धारित गहराई से अधिक खनन करती हंै। खानों में सुरंगें बना कर क्षेत्र को खोखला कर देती हैं। खनन की वजह से वृक्ष कटने और उपजाऊ मिट्टी कम होने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है। इससे अनेक बीमारियां बढ़ती हैं।
-नेमीचन्द गहलोत, नोखा, बीकानेर
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अंधाधुंध खनन से पर्यावरण संकट बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना आदि सब बातें आपस में जुड़ी हुई हैं। तूफान आ रहे हैं, जंगलों में आग लग रही है, मौसम बेकाबू हो रहा है। खनन उन कई गलत गतिविधियों में से एक है, जो इंसान कर रहा है। यह मानव के अपने ही हित में है कि वह इस प्रकार की विनाशक गतिविधियों को तुरंत ही बंद करे। प्रकृति किसी को भी छोड़ती नहीं।
-राजेन्द्र कुमार सुराणा, रायपुर
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अंधाधुंध खनन करने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। पहाड़ों एवं चट्टानों के साथ हरे-भरे पेड़ पौधे भी काटे जा रहे हैं। रेत उडऩे के कारण वातावरण दूषित हो रहा है। इससे श्वास संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। इसलिए सरकार को अंधाधुंध खनन पर रोक आवश्यक है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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-शादाब अंसारी, मांगरोल
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अंधाधुंध खनन से वन, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दांव पर लगता है। इससे जैव विविधता पर खतरा बढ़ गया है। खनन से महामारी संक्रमण और प्रदूषण जैसे खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं।
प्रियंका, जोधपुर
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खनन पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसके बुरे परिणाम सामने आए हैं। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। नदियों की धारा मार्ग बदल रही है। नई बीमारियां पैदा हो हो रही हैं। जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर ही संकट खड़े हो गए हैं। खनन को नियंत्रित करना आवश्यक हो गया है।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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कानूनी हो या गैरकानूनी दोनों प्रकार की खनन का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जैव विविधता पर भी खतरा बढ़ता रहा है। अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। खनन प्रक्रिया के दौरान वृक्षों को हटाया जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई