हम सब ने बचपन में एक कहानी ज़रूर पढ़ी या सुनी होगी, जिसमें एक वाक्य दोहराया जाता था “भेड़िया आया! भेड़िया आया!! भेड़िया आया!!!” दरअसल ये एक आपातकालीन संकेत और संदेश (Distress Signal) था। जब दुनिया विकसित हुई और संचार मौखिक व व्यक्तिगत न होकर टेलीग्राम, रेडियो व अन्य माध्यमों पर आधारित होने लगा तो समय के साथ-साथ ‘डिस्ट्रेस सिग्नल’ के क्षेत्र में स्पेशलाइज़ेशन भी आया और स्थिति-परिस्थिति की गंभीरता के आधार पर कैटेगराइज़ेशन भी।
सामान्य रूप से ऐसे शब्दों के जोड़ से बने ‘आपातकालीन संदेश’ को ‘प्रोवर्ड्स’ (Prowords) या पूरे रूप में ‘प्रोसीजर वर्ड्स’ की श्रेणी में रखा जाता है। भाषा किस तरह जीवन को बचाने में भी सहायक हो सकती है, ये बात आपातकालीन संदेशों के निरंतर विकास की उस कहानी में निहित है, जो हम सबको केवल जिज्ञासा स्वरूप ही नहीं बल्कि संक्षेप में ही सही, अपने जीवनरक्षक सूत्र के रूप में भी जाननी चाहिए।
हम सबने कभी-न-कभी SOS पढ़ा होगा। ये एक मोर्स कोड होता था जो आपातकालीन आशंका को दर्शाता था। SOS पहले इतना प्रचलित था कि आज इस्तेमाल न होने के बावजूद भी नये ज़माने के मोबाइल फ़ोन के इमोजी में ये आज भी मिलता है। सामान्य रूप से लोग इसे जलपोत से जोड़कर देखते थे, जो जहाज़ के डूबने या किसी अन्य इमरजेंसी में चेतावनी के रूप में ‘सहायता की पुकार’ के रूप में बेतार भेजा जाता था। लोग इसको ‘Save Our Soul’ या ‘Save Our Ship’ का शार्ट फ़ार्म मानते रहे हैं।
इसके बाद जब हालातों की गंभीरता का और विशेषीकरण हुआ तो ‘प्रोवर्ड्स’ में अपेक्षाकृत अधिक संकटकालीन परिस्थितियों के लिए ‘पैन-पैन’ (PAN-PAN) का इस्तेमाल शुरू हुआ, जो आज भी बख़ूबी चलता है। इसके प्रयोग किये जाने के संकटकाल में हालात चुनौतीपूर्ण तो होते हैं, लेकिन इतने भी नहीं कि किसी के लिए जानलेवा साबित हो जाएं। अक्सर इसका प्रयोग किसी जहाज़ की तकनीकी ख़राबी, नैविगेशन की समस्या या किसी की व्यक्तिगत मेडिकल इमरजेंसी के समय ही किया जाता है। ये फ़्रेंच भाषा के उस पैन (panne) शब्द से निकला है जिसका अर्थ किसी ब्रेक डाउन या इमरजेंसी के लिए किया जाता रहा है।
इसके बाद आती है अति गंभीर श्रेणी ‘मेडे’ (Mayday) जिसे जब एक साथ 3 बार बोला जाता है तो इसका सीधा मतलब होता है सर्वोच्च प्राथमिकता पर सहायता तैयार रखी जाए क्योंकि ये पूरे जहाज़ के नष्ट होने की आशंका है, जिसमें यात्रियों से लेकर कर्मियों तक सभी सवारियों का जीवन दाँव पर लगा है। इसका तीन बार बोला जाना ही, हालातों की सबसे अर्जेंट सिचुएशन की ओर इशारा करता है। मूल रूप से ‘मेडे’ प्रथम विश्व युद्ध के समय इंग्लैण्ड में प्रचलित हुआ, जिसकी पृष्ठभूमि में इसी तरह की ध्वनि वाला एक फ़्रेंच शब्द होता था, जिसका मतलब होता था ‘मेरी सहायता कीजिए!’