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प्रदूषण नियंत्रण में जनता की पहली पंक्ति की भूमिका

बढ़ते प्रदूषण के लिए मानव गतिविधियों पर अंकुश लगाना और प्राकृतिक कारणों को समझते हुए समाधान खोजना आवश्यक है। जनता अक्सर उद्योग क्षेत्रों में पर्यावरणीय मानकों का पालन नहीं करती। वाहनों की संख्या में वृद्धि, शहरीकरण के लिए वृक्षों की कटाई, फसल कटाई के बाद पराली जलाना और प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग प्रदूषण बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

जयपुरDec 03, 2024 / 12:06 pm

Hemant Pandey

बढ़ते प्रदूषण के लिए मानव गतिविधियों पर अंकुश लगाना और प्राकृतिक कारणों को समझते हुए समाधान खोजना आवश्यक है। जनता अक्सर उद्योग क्षेत्रों में पर्यावरणीय मानकों का पालन नहीं करती। वाहनों की संख्या में वृद्धि, शहरीकरण के लिए वृक्षों की कटाई, फसल कटाई के बाद पराली जलाना और प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग प्रदूषण बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

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जनता ही प्रथम पंक्ति की जिम्मेदार

बढ़ते प्रदूषण के लिए मानव गतिविधियों पर अंकुश लगाना और प्राकृतिक कारणों को समझते हुए समाधान खोजना आवश्यक है। जनता अक्सर उद्योग क्षेत्रों में पर्यावरणीय मानकों का पालन नहीं करती। वाहनों की संख्या में वृद्धि, शहरीकरण के लिए वृक्षों की कटाई, फसल कटाई के बाद पराली जलाना और प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग प्रदूषण बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वृक्षारोपण में सुस्ती और दोषारोपण में चुस्ती प्रदूषण को बढ़ावा देती है। समाधान केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।

मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़

स्वयं को जिम्मेदार मानते हैं

देश में बढ़ते प्रदूषण के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। अनावश्यक रूप से प्लास्टिक का उपयोग, दीपावली और नए वर्ष पर पटाखे जलाना और अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों में शामिल होना इसके प्रमुख कारण हैं। हमें अपने कार्यों के प्रति सजग होकर सुधार लाने की आवश्यकता है।

अशोक कुमार जाणी, बाड़मेर

मानव ही जिम्मेदार है

प्रकृति ने हमें हवा, पानी और अन्य बहुमूल्य संसाधन दिए हैं, लेकिन मानव जाति ने इनके उपयोग में अनियंत्रित तरीके अपनाए हैं। जंगलों की कटाई, शहरीकरण, और वाहनों की अति ने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मानव जाति को ही ठोस कदम उठाने होंगे।

नरेश, देवास, मध्य प्रदेश

मनुष्य स्वयं जिम्मेदार

देश में बढ़ते प्रदूषण के लिए मनुष्य, उद्योग और सरकार सब जिम्मेदार हैं। जीवाश्म ईंधन का उपयोग, वनों की कटाई और प्लास्टिक कचरे का गलत निपटान पर्यावरण असंतुलन का कारण बनते हैं। उद्योगों द्वारा नियमों का पालन और सरकार द्वारा सख्त कदम उठाना आवश्यक है। यह समस्या सामूहिक प्रयासों से ही हल हो सकती है।

मोदिता, उदयपुर, राजस्थान

हर नागरिक जिम्मेदार

आधुनिकता की दौड़ में लिप्त आम जनता और शिक्षित व्यक्ति पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज करते हुए प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। समाज को जागरूकता और अनुशासन अपनाने की आवश्यकता है।


नीलम कुमारी, झुंझुनूं

कठोर कार्यवाही की दरकार

उद्योगों से निकलता धुआं, रसायनयुक्त पानी और लकड़ी के ईंधन का उपयोग प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। आधुनिक उपकरण जैसे एसी और फ्रिज भी इसमें योगदान करते हैं। सरकार को कठोर कार्यवाही करनी होगी।

डॉ. मदनलाल गांगले, रतलाम, मध्य प्रदेश

हम सबकी जिम्मेदारी

औद्योगिक इकाइयों और वाहनों के अंधाधुंध उपयोग ने प्रदूषण को बढ़ाया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमारी जीवनशैली में बदलाव आवश्यक है।

ललित महालकरी, इंदौर

समाधान का भाव जरूरी

दुनिया का कोई भी कानून प्रदूषण को नहीं रोक सकता जब तक कि लोगों में पर्यावरण के प्रति अपनत्व न हो। स्वार्थी भाव से वातावरण को प्रदूषित करना बंद करना होगा।

विकास बिश्नोई, लोहावट

सरकार और समाज जिम्मेदार

बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकार और समाज दोनों जिम्मेदार हैं। उद्योगों को इको-फ्रेंडली बनाना और समाज को छोटे-छोटे उपाय अपनाने की आवश्यकता है। मैं स्वयं 2100 किलोमीटर पैदल यात्रा कर लोगों को जागरूक कर रहा हूं।

दीप सिंह शेखावत

अधिकारियों की जिम्मेदारी

प्रदूषण नियंत्रण कानूनों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे। उद्योगपति अपने स्वार्थ में आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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