जब हम गीता की बात करते हैं तो श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग की बात जरूर होती है। जब हम निष्काम कर्मयोग को पढ़ते हैं तो लगता है कि जब व्यक्ति बिना फल की इच्छा के कर्म करेगा तो न तो कभी व्यथित होगा और न ही जीवन में भटकेगा। हम बिना फल की कामना से कर्म करें, यह हमारा दायित्व भी है और कर्तव्य भी।
जीवन में जब भी कुछ क्षण फुर्सत के मिलें तो हमें गीता जरूर पढ़नी चाहिए। राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का लिखा ग्रंथ ‘गीता विज्ञान उपनिषद’ हमारी पुरातन संस्कृति व उत्कृष्ट धर्म की झलक तो है ही, व्यक्ति को जीने की राह बताने वाला ग्रंथ भी है। यह कृति जीवन मूल्यों की स्थापना को नई दिशा देती है। वेद विज्ञान को सरल भाषा में सामने लाने का काम राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिश ने किया और उस काम को गुलाब जी आगे बढ़ा रहे हैं।
जब हम गीता की बात करते हैं तो श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग की बात जरूर होती है। जब हम निष्काम कर्मयोग को पढ़ते हैं तो लगता है कि जब व्यक्ति बिना फल की इच्छा के कर्म करेगा तो न तो कभी व्यथित होगा और न ही जीवन में भटकेगा। हम बिना फल की कामना से कर्म करें, यह हमारा दायित्व भी है और कर्तव्य भी।
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