Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: स्त्री पूरी उम्र स्थूल और सूक्ष्म में साथ-साथ जीती है। पिता-पति-पुत्र के जीव भाव को पोषित करती रहती है। यही उसकी दिव्यता है। उसके सारे कर्म ब्रह्म को समर्पित रहते हैं। उसके पास चार शस्त्र होते हैं—श्रद्धा, स्नेह, वात्सल्य और प्रेम। प्रेम उसका श्रेष्ठतम धन है। वही उसके आदान-प्रदान का माध्यम भी है। शेष तीनों स्थूल देह साक्षी हैं। उसका प्रेम ब्रह्म की दोनों विद्याओं में उसे प्रवीण करता है। लक्ष्मी पृथ्वी है—अन्न ब्रह्म से पोषण करती है।
शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- स्त्री की दिव्यता
जयपुर•Oct 25, 2024 / 09:15 pm•
Gyan Chand Patni
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