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Swami Vivekananda Birthday: बच्चों को भी बताएं स्वामी विवेकानंद से जुड़े प्रेरक प्रसंग

Swami Vivekananda Birthday पर आज हम आपको स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कहानियां बताते हैं, जो आपको बच्चों को भी बतानी चाहिए। स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानियां (swami vivekananda story) बच्चा हो या युवा सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं और कई बातें सीखने वाली हैं।

Jan 12, 2023 / 12:38 pm

Pravin Pandey

स्वामी विवेकानंद के विचार

Swami Vivekananda Story: स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कहानियों में उनके विचार संग्रहित हैं (swami vivekananda quotes)। स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानियां ज्ञान का अथाह भंडार है, इनको जानकर और सीख लेकर व्यक्ति जीवन की जटिल समस्याओं का आसानी से समाधान पा सकता है। आइये जानते हैं इन्हीं में से कुछ कहानियों के बारे में।

Swami Vivekananda Story 1

यह कहानी स्वामी विवेकानंद के बचपन की है। स्वामीजी बचपन से ही मेधावी थे, वे जब कुछ कहते, साथी मंत्रमुग्ध होकर सुनते। एक दिन कक्षा में वो कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी साथी इससे सुनने में मग्न हो गए। स्थिति ऐसी थी कि उन्हें पता ही नहीं चला कि शिक्षक कक्षा में आ गए और पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी बीच कक्षा में फुसफुसाहट ने शिक्षक का ध्यान खींचा। उन्होंने कड़क आवाज में पूछा कि कौन बात कर रहा है? छात्रों ने स्वामीजी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया।

इससे नाराज शिक्षक ने उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबंधित प्रश्न पूछने लगे। स्वामी विवेकानंद के अलावा कहानी सुन रहा कोई बच्चा प्रश्न का जवाब नहीं दे पाया। इस पर शिक्षक को यकीन हो गया कि स्वामीजी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बातचीत में लगे थे। इस पर उन्होंने स्वामीजी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी छात्र एक-एक कर बेंच पर खड़े हुए तो उनके साथ स्वामीजी भी खड़े हो गए।
इस पर शिक्षक बोले– नरेंद्र तुम बैठ जाओ! यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने विनम्रता से खुद के लिए भी सजा के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर, मैं ही इन छात्रों से बात कर रहा था। उनके सच बोलने की हिम्मत से प्रभावित हुए बिना कोई नहीं रह सका।

Swami Vivekananda Story 2

अमेरिका में स्वामी विवेकानंद से जुड़ी प्रेरक कहानी के अनुसार अमेरिका यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद एक पुल से गुजर रहे थे। रास्ते में उन्होंने कुछ लड़कों को निशाना लगाते देखा, लेकिन इनमें से कोई सही निशाना नहीं लगा पा रहा था। इस पर स्वामी विवेकानंद रूके और बंदूक संभाल ली। उन्होंने एक के बाद एक लगातार कई निशाने लगाए। इस पर लड़कों और अन्य लोगों ने पूछा कि आपने यह कैसे किया तो उन्होंने कहा, जो भी काम करो, अपनी पूरी एकाग्रता उसी में लगा दो। सफलता अवश्य मिलेगी।
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Swami Vivekananda Prasang 3

स्वामी विवेकानंद से जुड़ा बनारस का प्रेरक प्रसंग भी आपको बताते हैं। एक बार बनारस में वह एक मंदिर से प्रसाद लेकर बाहर आ रहे थे तभी वहां रहने वाले बंदरों के समूह ने उन्हें घेर लिया। स्वामीजी जितना बंदरों से बचने के लिए इधर उधर जा रहे थे, बंदर उतना ही रास्ते में आकर उन्हें डरा रहे थे। तभी वहां एक बुजुर्ग संन्यासी पहुंचे, उन्होंने स्वामी विवेकानंद से कहा कि डरो मत, उनका सामना करो।
वृद्ध संन्यासी की बात सुनकर स्वामी विवेकानंद पलटे और बंदरों की तरफ जाने लगे। इस पर सारे बंदर भाग गए और वे पुन: निर्भय हो गए। इसका कई बार उन्होंने जिक्र किया है और युवाओं से कहते थे कि किसी समस्या से डरो मत, उसका सामना करो, उससे लड़ो।

Swami Vivekananda Prasang 4

स्वामी विवेकानंद से जुड़े एक प्रेरक प्रसंग के अनुसारविदेश यात्रा के दौरान एक महिला ने उनसे कहा कि मैं आपसे विवाह कर आपके जैसा गौरवशाली, सुशील और तेजयुक्त पुत्र पाना चाहती हूं। इस पर विवेकानंद ने कहा कि मैं संन्यासी हूं और विवाह नहीं कर सकता लेकिन आप मुझे ही पुत्र मान लीजिए तो आपकी इच्छा भी पूरी हो जाएगी और मुझे मां का आशीर्वाद मिल जाएगा। उनके इस उत्तर को सुनते ही वह महिला उनके चरणों में गिर गई और माफी मांगने लगी।
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Swami Vivekananda Prasang 5

एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद खेतड़ी (राजस्थान) पहुंचे तो वहां के राजा ने उनके मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा। इस कार्यक्रम में मैनाबाई नाम की एक नृत्यांगना ने नृत्य प्रस्तुत करना शुरू किया तो स्वामी विवेकानंद उठकर जाने लगे। तब नृत्यांगना ने सूरदास का भजन गाने लगे और तब वे वहीं रूके और मैनाबाई को मां नाम से सम्बोधित किया।
Swami Vivekananda Prasang 6

स्वामी विवेकानंद से जुड़ी एक और कहानी के अनुसार एक बार स्वामीजी के आश्रम में एक व्यक्ति आया। उसने स्वामी विवेकानंद से कहा मैं बहुत दुखी हूं, मैं मेहनत करता हूं लेकिन सफलता नहीं मिलती। उसने स्वामीजी से कहा कि मैं पढ़ा-लिखा हूं और मेहनती हूं, फिर भी कामयाब नहीं हो पा रहा हूं। कृपया कोई रास्ता बताएं, जिससे मैं भी सफल हो सकूं। इस पर स्वामीजी ने उससे अपने कुत्ते को सैर करा लाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि तुम कुछ दूर तक मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ। इसके बाद मैं तुम्हें तुम्हारे दुखों को दूर करने का रास्ता बताता हूं।
इससे वह व्यक्ति हैरान हो गया, लेकिन स्वामीजी की बात मानकर कुत्ते को सैर कराने लेकर चला गया। वह व्यक्ति लौटा तो कुत्ता थका हुआ था, लेकिन वह व्यक्ति थका नहीं था।
इस पर स्वामीजी ने पूछा कि ये कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया, जबकि तुम तो थके नहीं दिख रहे हो। इस पर उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं तो अपने रास्ते पर सीधे चल रहा था, लेकिन कुत्ता गली के कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर लौट आता था। इस कुत्ते ने मुझसे ज्यादा दौड़ भाग की है, इससे ये थक गया है। इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि इसी में तुम्हारे दुख दूर करने का भी जवाब है।
तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे सामने है, लेकिन तुम लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दूसरों से होड़ में जुट जाते हो और दूसरे रास्ते पर चलकर अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो।

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