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शुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः

शुद्ध आहार से शरीर और मन शुद्ध होते हैं और रोगों से दूर रहते हैं। इस श्लोक के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि शुद्ध और पौष्टिक आहार कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव में सहायक है।

जयपुरNov 06, 2024 / 06:56 pm

विकास माथुर

आज के समय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी तेजी से फैल रही है। बदलती जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर आहार, और प्रदूषित वातावरण ने इस बीमारी को बढ़ावा दिया है। कैंसर से बचाव और इसके प्रभाव को कम करने के लिए सही जानकारी, जागरूकता, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। कैंसर के उत्पन्न होने के कई कारण हैं, जो सीधे हमारे जीवनशैली और पर्यावरण से जुड़े हैं।
खाद्य अपमिश्रण (Food Adulteration): हमारे खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण शरीर में विषैले पदार्थ पहुँचते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। खाने में रंगों, रसायनों, और कृत्रिम सामग्री का उपयोग सेहत के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है।
प्रदूषण (Pollution): वायु, जल, और मृदा प्रदूषण के कारण शरीर में हानिकारक तत्व प्रवेश कर सकते हैं, जो फेफड़े, गले, और त्वचा के कैंसर का कारण बनते हैं। बड़े शहरों में बढ़ता प्रदूषण कैंसर की संभावना को बढ़ाता है।
—जलवायु परिवर्तन (Climate Change): जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते पर्यावरणीय हालात, जैसे गर्मी की अधिकता, शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, जिससे कैंसर की संभावना बढ़ती है।
— कीटनाशकों और रसायनों का दुरुपयोग (Misuse of Pesticides and Insecticides): आधुनिक खेती में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग होता है। यह रसायन हमारे खाद्य पदार्थों में शामिल होकर हमारे शरीर में पहुँचते हैं और कई प्रकार के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
—अस्वास्थ्यकर पैकेजिंग और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: प्लास्टिक और अन्य रसायनों से बने पैकेजिंग सामग्री में खाने-पीने की वस्तुएँ रखने से भोजन में हानिकारक तत्व घुल जाते हैं। इसके अलावा, जंक फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन भी कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
जंक फूड का सेवन (Consumption of Junk Food): अधिक तेल, चीनी और नमक से भरपूर जंक फूड शरीर में वसा का स्तर बढ़ा देता है और मोटापा का कारण बनता है, जो कैंसर का एक महत्वपूर्ण कारक है।
तनावपूर्ण जीवन और मानसिक थकान: अधिक समय तक तनावपूर्ण स्थिति में रहना और स्क्रीन पर अधिक समय बिताना, जैसे मोबाइल, लैपटॉप आदि का अत्यधिक उपयोग, शरीर में हानिकारक प्रभाव डालता है। तनाव से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
अल्कोहल, तंबाकू और नशीले पदार्थों का सेवन: अल्कोहल, तंबाकू और नशीले पदार्थों का सेवन शरीर में कई तरह के कैंसर का कारण बन सकता है। विशेषकर फेफड़े, मुंह, गले, और लिवर कैंसर के मामले इनमें अधिक होते हैं।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इसके प्रति जागरूक होना और समय पर इसकी पहचान करना।
— स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग: नियमित स्वास्थ्य जांच, जैसे ब्रेस्ट कैंसर के लिए मेमोग्राफी, सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर, और फेफड़ों के कैंसर के लिए एक्स-रे आदि जांचों के माध्यम से कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में पहचान की जा सकती है।
— स्व-परिक्षण: शरीर में किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे गांठ या सूजन का अनुभव हो तो उसकी तुरंत जाँच करवानी चाहिए। महिलाओं में स्व-परिक्षण का महत्व विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए है।
— स्वस्थ जीवनशैली का पालन: कैंसर से बचने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और मानसिक शांति बनाए रखना जरूरी है। जंक फूड, तंबाकू और शराब का त्याग और पौष्टिक आहार अपनाकर कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
भारतीय परंपराओं में स्वास्थ्य का महत्व
भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद, योग, और ध्यान का पालन करके हम कैंसर जैसी बीमारियों से बच सकते हैं।
“शुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः।” अर्थात शुद्ध आहार से शरीर और मन शुद्ध होते हैं और रोगों से दूर रहते हैं।
कैंसर से बचे हुए प्रेरणादायक व्यक्तियों की कहानियां
कई लोग अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, सकारात्मक सोच, और समय पर चिकित्सा से कैंसर को हराने में सफल हुए हैं।
लैंस आर्मस्ट्रॉन्ग ने न केवल टेस्टीकुलर कैंसर को हराया बल्कि टूर डी फ्रांस का खिताब सात बार जीता। उनका जीवन प्रेरणा देता है कि कैंसर को मजबूत इच्छाशक्ति से हराया जा सकता है। प्रसिद्ध गायिका काइली मिनोग ने ब्रेस्ट कैंसर को मात दी और अपने संघर्ष के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित किया। विजय सिंह (जोधपुर) ने तंबाकू छोड़कर फेफड़े के कैंसर से लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। उनका अनुभव बताता है कि सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर कैंसर को हराया जा सकता है।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचने और इसे मात देने के लिए जागरूकता, समय पर जाँच, स्वस्थ जीवनशैली, और सकारात्मक सोच का पालन आवश्यक है। प्रदूषण, मिलावट, तंबाकू और शराब का सेवन, तनाव, और अस्वास्थ्यकर भोजन जैसी आदतों से दूरी बनाकर और संतुलित आहार एवं योग को अपनाकर कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
आइए, इस राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि हम अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाएंगे, नियमित स्वास्थ्य जांच कराएंगे और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करेंगे।

— लेखक प्रो. (डॉ.) हेमन्त पारीक, जीवन विज्ञान वैज्ञानिक हैं और इंटरनेशनल सोसायटी फॉर लाइफ साइंसेस में महासचिव और फाइट अगेंस्ट कैंसर, कैंपेन के समन्वयक हैं।

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