Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: सृष्टि दो प्रकार की होती है। एक अर्थरूप भूत सृष्टि और दूसरी शब्द रूप वाक् सृष्टि। दोनों का ही आधार ‘अक्षर’ है। इसको परब्रह्म कहते हैं। इसका आलम्बन अव्यय पुरुष होता है। अव्यय और अक्षर नित्य संस्थाएं हैं। अव्यय की पांच कलाओं-आनन्द, विज्ञान, मन, प्राण और वाक् में से प्राण और वाक् ही अक्षर कहलाते हैं। … ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- वाक् : शब्द भी-अर्थ भी
•Dec 31, 2022 / 10:27 am•
Patrika Desk
शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast
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