Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: गीता के अनुसार प्राणियों के लिए जो रात्रि है उसमें स्थितप्रज्ञ योगी जागता है। यहां स्थितप्रज्ञ किसी योगी के लिए लिखा है। किन्तु जो भी व्यक्ति अपने चहेते विषय पर एकाग्र हो जाता है, अन्य विषय ओझल हो जाते हैं, वह वर्तमान में जीने लगता है।… ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- जीवन योग का पर्याय
•Mar 22, 2024 / 09:19 pm•
Nitin Kumar
शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast
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