Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: हृदय से शरीर तक शरीर स्थान तथा शरीर स्थान से बाहरी विषयों तक संसार स्थान कहलाता है। शरीर (इन्द्रिय) स्थान से संसार स्थान के मध्य आसक्त होना मोह है। संसार स्थान से हटना द्वेष है ।… ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- मन चंचल-हृदय स्थिर है
•Jun 16, 2023 / 09:54 pm•
Patrika Desk
शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: मन चंचल-हृदय स्थिर है
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