Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: वैश्वानर का स्वरूप तीन प्रकार के अग्नि स्वरूपों का सम्मिश्रण है-अग्नि, वायु और आदित्य। इन्हीं का स्थूल रूप वसु, रुद्र और आदित्य हंै। ये ही पृथ्वी की अग्नि के घन, तरल और विरल रूप हैं। शरीर में इन्हीं को क्रमश: अपान, व्यान और प्राण कहते हैं। इन तीनों के आपसी संघर्ष से वैश्वानर अग्नि पैदा होता है। यही अन्न को पचाता है। ये … ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- वैश्वानर ही द्वा-सुपर्णा
•Mar 08, 2024 / 09:59 pm•
Gyan Chand Patni
शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: वैश्वानर ही द्वा-सुपर्णा
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